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प्रति॒पद॑सि प्रति॒पदे॑ त्वानु॒पद॑स्यनु॒पदे॑ त्वा स॒म्पद॑सि स॒म्पदे॑ त्वा॒ तेजो॑ऽसि॒ तेज॑से त्वा ॥८ ॥

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पद पाठ

प्र॒ति॒पदिति॑ प्रति॒ऽपत्। अ॒सि॒। प्र॒ति॒पद॒ इति॑ प्रति॒ऽपदे॑। त्वा॒। अ॒नु॒पदित्य॑नु॒ऽपत्। अ॒सि॒। अ॒नु॒पद॒ इत्य॑नु॒ऽपदे॑। त्वा॒। स॒म्पदिति॑ स॒म्ऽपत्। अ॒सि॒। स॒म्पद॒ इति॑ स॒म्ऽपदे॑। त्वा॒। तेजः॑। अ॒सि॒। तेज॑से। त्वा॒ ॥८ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:15» मन्त्र:8


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे पुरुषार्थिनि विदुषी स्त्री ! जिस कारण तू (प्रतिपत्) प्राप्त होने के योग्य लक्ष्मी के तुल्य (असि) है, इसलिये (प्रतिपदे) ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिये (त्वा) तुझ को जो (अनुपत्) पीछे प्राप्त होनेवाली शोभा के तुल्य (असि) है, उस (अनुपदे) विद्याऽध्ययन के पश्चात् प्राप्त होने योग्य (त्वा) तुझ को, जो तू (संपत्) सम्पत्ति के तुल्य (असि) है, उस (सम्पदे) ऐश्वर्य के लिये (त्वा) तुझ को, जो तू (तेजः) तेज के समान (असि) है, इसलिये (तेजसे) तेज होने के लिये (त्वा) तुझ को ग्रहण करता हूँ ॥८ ॥
भावार्थभाषाः - सब सुख सिद्ध होने के लिये तुल्य गुण, कर्म्म और स्वभाववाले स्त्री-पुरुष स्वयंवर विवाह से परस्पर एक-दूसरे को स्वीकार कर के आनन्द में रहें ॥८ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनरेतैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

अन्वय:

(प्रतिपत्) प्रतिपद्यते प्राप्यते या सा (असि) (प्रतिपदे) ऐश्वर्याय (त्वा) त्वाम् (अनुपत्) अनु पश्चात् प्राप्यते या सा (असि) (अनुपदे) पश्चात् प्राप्तव्याय (त्वा) (सम्पत्) सम्यक् प्राप्यते या सा (असि) (सम्पदे) ऐश्वर्याय (त्वा) (तेजः) प्रागल्भ्यम् (असि) (तेजसे) (त्वा) त्वाम् ॥८ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे पुरुषार्थिनि विदुषि स्त्रि ! यतस्त्वं प्रतिपदिवासि तस्यै प्रतिपदे त्वा याऽनुपदिवासि तस्या अनुपदे त्वा या संपदिवासि तस्यै संपदे त्वा या तेज इवासि तस्यै तेजसे त्वा त्वां स्वीकरोमि ॥८ ॥
भावार्थभाषाः - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मनुष्यैः सर्वसुखसिद्धये तुल्यगुणकर्मस्वभावैः स्त्रीपुरुषैः स्वयंवरेण विवाहेन परस्परं स्वीकृत्यानन्दितव्यम् ॥८ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - सर्व सुख सिद्ध होण्यासाठी समान गुण कर्म, स्वभावाच्या स्त्री-पुरुषांनी स्वयंवर विवाह करून परस्परांचा स्वीकार करावा व आनंदात राहावे.