वांछित मन्त्र चुनें

मधु॒ वाता॑ऽ ऋताय॒ते मधु॑ क्षरन्ति॒ सिन्ध॑वः। माध्वी॑र्नः स॒न्त्वोष॑धीः ॥२७ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

मधु॑। वाताः॑। ऋ॒ता॒य॒ते। ऋ॒त॒य॒त इत्यृ॑तऽय॒ते। मधु॑। क्ष॒र॒न्ति॒। सिन्ध॑वः। माध्वीः॑। नः॒। स॒न्तु॒। ओष॑धीः ॥२७ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:13» मन्त्र:27


बार पढ़ा गया

हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

आगे के मन्त्र में वसन्त ऋतु के अन्य गुणों का वर्णन किया है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! जैसे वसन्त ऋतु में (नः) हम लोगों के लिये (वातः) वायु (मधु) मधुरता के साथ (ऋतायते) जल के समान चलते हैं, (सिन्धवः) नदियाँ वा समुद्र (मधु) कोमलतापूर्वक (क्षरन्ति) वर्षते हैं और (ओषधीः) ओषधियाँ (माध्वीः) मधुर रस के गुणों से युक्त (सन्तु) होवें, वैसा प्रयत्न हम किया करें ॥२७ ॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जब वसन्त ऋतु आता है, तब पुष्प आदि के सुगन्धों से युक्त वायु आदि पदार्थ होते हैं, उस ऋतु में घूमना-डोलना पथ्य होता है, ऐसा निश्चित जानना चाहिये ॥२७ ॥
बार पढ़ा गया

संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ वसन्तर्तोर्गुणान्तरानाह ॥

अन्वय:

(मधु) मधुरं यथा स्यात् तथा (वाताः) वायवः (ऋतायते) ऋतमुदकमिवाचरन्ति। अत्र वचनव्यत्ययेन बहुवचनस्थान एकवचनम्। ऋतमित्युदकनामसु पठितम् ॥ (निघं०१.१२) न छन्दस्यपुत्रस्य [अष्टा०७.४.३५] इतीत्वाभावः। अन्येषामपि० [अष्टा०६.३.१३७] इति दीर्घः (मधु) (क्षरन्ति) वर्षन्ति (सिन्धवः) नद्यः समुद्रा वा। सिन्धव इति नदीनामसु पठितम् ॥ (निघं०१.१३) (माध्वीः) माध्व्यो मधुरगुणयुक्ताः। अत्र ऋत्व्यवास्त्व्य० [अष्टा०६.४.१७५] इति मधुशब्दादणि यणादेशनिपातः (नः) अस्मभ्यम् (सन्तु) (ओषधीः) ओषधयः। [अयं मन्त्रः शत०७.५.१.४ व्याख्यातः] ॥२७ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्याः ! यथा वाता वसन्ते नो मधु ऋतायते सिन्धवो मधु क्षरन्ति ओषधीर्नो माध्वीः सन्तु, तथा वयमनुतिष्ठेम ॥२७ ॥
भावार्थभाषाः - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यदा वसन्त आगच्छति, तदा पुष्पादिसुगन्धयुक्ता वाय्वादयः पदार्था भवन्ति, तस्मिन् भ्रमणं पथ्यं वर्त्तत इति वेद्यम् ॥२७ ॥
बार पढ़ा गया

मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जेव्हा वसंत ऋतू येतो तेव्हा वायू फुलांच्या सुगंधानी युक्त होतो तेव्हा त्या ऋतूमध्ये हिंडणे-फिरणे आरोग्य वर्धक असते हे निश्चित जाणा.