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याऽओष॑धीः॒ सोम॑राज्ञी॒र्विष्ठि॑ताः पृथि॒वीमनु॑। बृह॒स्पति॑प्रसूताऽअ॒स्यै संद॑त्त वी॒र्य्य᳖म् ॥९३ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

याः। ओष॑धीः। सोम॑राज्ञी॒रिति॒ सोम॑ऽराज्ञीः। विष्ठि॑ताः। विस्थि॑ता॒ इति॑ विऽस्थि॑ताः। पृ॒थि॒वीम्। अनु॑। बृह॒स्पति॑प्रसूता॒ इति॑ बृह॒स्पति॑ऽप्रसूताः। अ॒स्यै। सम्। द॒त्त॒। वी॒र्य्य᳖म् ॥१३ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:12» मन्त्र:93


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

कैसे सन्तानों को उत्पन्न करें, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विवाहित पुरुष ! (याः) जो (सोमराज्ञीः) सोम जिनमें उत्तम है, वे (बृहस्पतिप्रसूताः) बड़े कारण के रक्षक ईश्वर की रचना से उत्पन्न हुई (ओषधीः) ओषधियाँ (पृथिवीम्) (अनु) भूमि के ऊपर (विष्ठिताः) विशेषकर स्थित हैं, उनसे (अस्यै) इस स्त्री के लिये (वीर्य्यम्) बीज का दान दे। हे विद्वानो ! आप इन ओषधियों का विज्ञान सब मनुष्यों के लिये (संदत्त) अच्छे प्रकार दिया कीजिये ॥९३ ॥
भावार्थभाषाः - स्त्रीपुरुषों को उचित है कि बड़ी-बड़ी ओषधियों का सेवन करके सुन्दर नियमों के साथ गर्भ धारण करें और ओषधियों का विज्ञान विद्वानों से सीखें ॥९३ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

कथं सन्तानोत्पत्तिः कार्य्येत्याह ॥

अन्वय:

(याः) (ओषधीः) ओषध्यः (सोमराज्ञीः) सोमप्रमुखाः (विष्ठिताः) विशेषेण स्थिताः (पृथिवीम्) (अनु) (बृहस्पतिप्रसूताः) बृहतः कारणस्य पालकस्येश्वरस्य निर्माणादुत्पन्नाः (अस्यै) पत्न्यै (सम्) (दत्त) (वीर्य्यम्) ॥९३ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विवाहितपुरुष ! याः सोमराज्ञीर्बृहस्पतिप्रसूता ओषधीः पृथिवीमनु विष्ठिताः सन्ति, ताभ्योऽस्यै वीर्य्यं देहि। हे विद्वांसः ! यूयमेतासां विज्ञानं सर्वेभ्यः संदत्त ॥९३ ॥
भावार्थभाषाः - स्त्रीपुरुषाभ्यां महौषधीः संसेव्य सुनियमेन गर्भाधानमनुधेयम्। ओषधिविज्ञानं विद्वद्भ्यः संग्राह्यम् ॥९३ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - स्त्री-पुरुषांनी चांगल्या औषधांचे सेवन करावे. चांगल्या नियमांचे पालन करून गर्भाधान करावे आणि विद्वानांकडून औषधांचे विज्ञान शिकावे.