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आ॒गत्य॑ वा॒ज्यध्वा॑न॒ꣳ सर्वा॒ मृधो॒ विधू॑नुते। अ॒ग्निꣳ स॒धस्थे॑ मह॒ति चक्षु॑षा॒ निचि॑कीषते ॥१८ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ॒गत्येत्या॒ऽऽगत्य॑। वा॒जी। अध्वा॑नम्। सर्वाः॑। मृधः॑। वि। धू॒नु॒ते॒। अ॒ग्निम्। स॒धस्थ॒ इति॑ स॒धस्थे॑। म॒ह॒ति। चक्षु॑षा। नि। चि॒की॒ष॒ते॒ ॥१८ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:11» मन्त्र:18


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब सभापति राजा किसके समान क्या करे, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे राजन् ! आप जैसे (वाजी) वेगवान् घोड़ा (अध्वानम्) अपने मार्ग को (आगत्य) प्राप्त हो के (सर्वाः) सब (मृधः) सङ्ग्रामों को (विधूनुते) कंपाता है और जैसे गृहस्थ पुरुष (चक्षुषा) नेत्रों से (महति) सुन्दर (सधस्थे) एक स्थान में (अग्निम्) अग्नि का (निचिकीषते) चयन किया चाहता है, वैसे सब सङ्ग्रामों को कंपाइये और घर-घर में विद्या का प्रचार कीजिये ॥१८ ॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। गृहस्थों को चाहिये कि घोड़ों के समान जाना-आना कर, शत्रुओं को जीत, आग्नेयादि अस्त्रविद्या को सिद्ध कर, अपने बलाऽबल को विचार और राग-द्वेष आदि दोषों की शान्ति करके अधर्मी शत्रुओं को जीतें ॥१८ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ सभेशः किंवत् किं कुर्य्यादित्याह ॥

अन्वय:

(आगत्य) (वाजी) वेगवानश्वः (अध्वानम्) मार्गम् (सर्वाः) (मृधः) सङ्ग्रामान् (वि) (धूनुते) कम्पयति (अग्निम्) (सधस्थे) सहस्थाने (महति) विशाले (चक्षुषा) नेत्रेण (नि) (चिकीषते) चेतुमिच्छति। [अयं मन्त्रः शत०६.३.३.८ व्याख्यातः] ॥१८ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विद्वन् राजन् ! भवान् यथा वाज्यश्वोऽध्वानमागत्य सर्वा मृधो विधूनुते, यथा गृहस्थश्चक्षुषा महति सधस्थेऽग्निं निचिकीषते तथा सर्वान् सङ्ग्रामान् विधूनोतु। गृहे गृहे विद्यानिचयं च करोतु ॥१८ ॥
भावार्थभाषाः - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। गृहस्था अश्ववद् गत्वागत्य शत्रून् जित्वाग्नेयास्त्रादिविद्यां संपाद्य बलाबलं पर्य्यालोच्य रागद्वेषादीन् शमित्वाऽधार्मिकान् शत्रून् जयेयुः ॥१८ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. राजाने येण्याजाण्याची गती घोड्याप्रमाणे वेगवान ठेवावी. शत्रूंना जिंकावे. आग्नेय इत्यादी अस्त्रविद्या सिद्ध करावी, आपल्या बलाबलाचा विचार करावा व राग-द्वेष इत्यादी दोष नाहीसे करून अधार्मिक शत्रूंना जिंकावे.