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प्रतू॑र्त्तं वाजि॒न्नाद्र॑व॒ वरि॑ष्ठा॒मनु॑ सं॒वत॑म्। दि॒वि ते॒ जन्म॑ पर॒मम॒न्तरि॑क्षे॒ तव॒ नाभिः॑ पृथि॒व्यामधि॒ योनि॒रित् ॥१२ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

प्रतू॑र्त्त॒मिति॒ प्रऽतू॑र्त्तम्। वा॒जि॒न्। आ। द्र॒व॒। वरि॑ष्ठाम्। अनु॑। सं॒वत॒मिति॑ स॒म्ऽवत॑म्। दि॒वि। ते॒। जन्म॑। प॒र॒मम्। अ॒न्तरि॑क्षे। तव॑। नाभिः॑। पृ॒थि॒व्याम्। अधि॑। योनिः॑। इत् ॥१२ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:11» मन्त्र:12


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर भी वही विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (वाजिन्) प्रशंसित ज्ञान से युक्त विद्वन् ! जिस (ते) आप का शिल्पविद्या से (दिवि) सूर्य्य के प्रकाश में (परमम्) उत्तम (जन्म) प्रसिद्धि (तव) आप का (अन्तरिक्षे) आकाश में (नाभिः) बन्धन और (पृथिव्याम्) इस पृथिवी में (योनिः) निमित्त प्रयोजन है सो आप विमानादि यानों के अधिष्ठाता होकर (वरिष्ठाम्) अत्यन्त उत्तम (संवतम्) अच्छे प्रकार विभाग की हुई गति को (प्रतूर्त्तम्) अतिशीघ्र (इत्) ही (अनु) पश्चात् (आ) (द्रव) अच्छे प्रकार चलिये ॥१२ ॥
भावार्थभाषाः - जब मनुष्य लोग विद्या और क्रिया के बीच में परम प्रयत्न के साथ प्रसिद्ध हो और विमान आदि यानों को रच के शीघ्र जाना-आना करते हैं, तब उन को धन की प्राप्ति सुगम होती है ॥१२ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

(प्रतूर्त्तम्) अतितूर्णम् (वाजिन्) प्रशस्तज्ञानयुक्त विद्वन् (आ) (द्रव) आगच्छ (वरिष्ठाम्) अतिशयेन वरां गतिम् (अनु) (संवतम्) सम्यग्विभक्ताम् (दिवि) सूर्य्यप्रकाशे (ते) तव (जन्म) प्रादुर्भावः (परमम्) (अन्तरिक्षे) अवकाशे (तव) (नाभिः) (पृथिव्याम्) (अधि) उपरि (योनिः) निमित्तं प्रयोजनम् (इत्) एव। [अयं मन्त्रः शत०६.३.२.२ व्याख्यातः] ॥१२ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे वाजिन् ! यस्य ते तव शिल्पविद्यया दिवि परमं जन्म तवाऽन्तरिक्षे नाभिः पृथिव्यां योनिरस्ति, स त्वं विमानान्यधिष्ठाय वरिष्ठां संवतं गतिं प्रतूर्त्तमिदन्वाद्रव ॥१२ ॥
भावार्थभाषाः - यदा मनुष्या विद्याहस्तक्रिययोर्मध्ये परमप्रयत्नेन प्रादुर्भूत्वा विमानादीनि यानानि विधाय गतानुगतं शीघ्रं कुर्वन्ति, तदा तेषां श्रीः सुलभा भवति ॥१२ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जेव्हा माणसे प्रयत्नपूर्वक ज्ञान व कर्माद्वारे विमान इत्यादी याने तयार करून आवागमन करतात तेव्हा त्यांना सहज रीतीने धन प्राप्त होते.