अ॒र्थेत॑ स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ दत्त॒ स्वाहा॒र्थेत॑ स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ द॒त्तौज॑स्वती स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ दत्त॒ स्वाहौज॑स्वती स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ द॒त्तापः॑ परिवा॒हिणी॑ स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ दत्त॒ स्वाहापः॑ परिवा॒हिणी॑ स्थ राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ दत्ता॒पां पति॑रसि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे देहि॒ स्वाहा॒ऽपां पति॑रसि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ देह्य॒पां गर्भो॑ऽसि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ देहि॒ स्वाहा॒ऽपां गर्भो॑ऽसि राष्ट्र्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ देहि ॥३॥
अ॒र्थेत॒ इत्य॑र्थ॒ऽइ॑तः। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। द॒त्त॒। स्वाहा॑। अ॒र्थेत॒ इत्य॑र्थ॒ऽइतः॑। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। द॒त्त॒। ओज॑स्वतीः। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। द॒त्त॒। स्वाहा॑। ओज॑स्वतीः। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मु॒ष्मै॑। द॒त्त॒। आपः॑। प॒रिवा॒हिणीः॑। प॒रि॒वा॒हिनी॒रिति॑ परिऽवा॒हिनीः॑। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। द॒त्त॒। स्वाहा॑। आपः॑। प॒रिवा॒हिणीः॑। प॒रि॒वा॒हिनी॒रिति॑ परिऽवा॒हिनीः॑। स्थ॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। द॒त्त॒। अ॒पाम्। पतिः॑। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। दे॒हि॒। स्वाहा॑। अ॒पाम्। पतिः॑। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। दे॒हि॒। अ॒पाम्। गर्भः॑। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। दे॒हि॒। स्वाहा॑। अ॒पाम्। गर्भः॑। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। दे॒हि॒ ॥३॥
हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती
राजा, मन्त्री, सेना और प्रजा के पुरुष आपस में किस प्रकार वर्त्तें, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥
संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुना राजाऽमात्यसेनाप्रजाजनाः परस्परं कथं वर्त्तेरन्नित्युपदिश्यते ॥
(अर्थेतः) येऽर्थं यन्ति (स्थ) भवत (राष्ट्रदाः) राज्यप्रदाः सभासदः (राष्ट्रम्) राज्यम् (मे) मह्यम् (दत्त) (स्वाहा) सत्यया वाचा (अर्थेतः) (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (दत्त) (ओजस्वतीः) विद्याबलपराक्रमयुक्ता राजस्त्रियः (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (मे) मह्यम् (दत्त) (स्वाहा) न्याययुक्त्या नीत्या (ओजस्वतीः) जितेन्द्रियाः (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (दत्त) (आपः) जलप्राणवत् प्रियाः (परिवाहिणीः) स्वसदृशान् पतीन् परि वोढुं शीलाः (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (मे) (दत्त) (स्वाहा) विनययुक्त्या वाण्या (आपः) (परिवाहिणीः) (स्थ) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (दत्त) (अपाम्) पूर्वोक्तानाम् (पतिः) पालकः (असि) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (मे) (देहि) (स्वाहा) प्रियया वाचा (अपाम्) प्राणानाम् (पतिः) रक्षकः (असि) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (देहि) (अपाम्) (गर्भः) अन्तर्हितः (असि) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (मे) (देहि) (स्वाहा) युक्तिमत्या वाचा (अपाम्) (गर्भः) स्तोतुं योग्यः (असि) (राष्ट्रदाः) (राष्ट्रम्) (अमुष्मै) (देहि) ॥ अयं मन्त्रः (शत०५.३.४.७-११) व्याख्यातः ॥३॥