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अथर्ववेद में सूक्त-५५ के 3 संदर्भ मिले

देवता : इन्द्रः ऋषि : रेभः छन्द : अतिजगती स्वर : सूक्त-५५

तमिन्द्रं जोहवीमि मघवानमुग्रं सत्रा दधानमप्रतिष्कुतं शवांसि। मंहिष्ठो गीर्भिरा च यज्ञियो ववर्तद्राये नो विश्वा सुपथा कृणोतु वज्री ॥