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पु॒ना॒नः क॒लशे॒ष्वा वस्त्रा॑ण्यरु॒षो हरि॑: । परि॒ गव्या॑न्यव्यत ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

punānaḥ kalaśeṣv ā vastrāṇy aruṣo hariḥ | pari gavyāny avyata ||

पद पाठ

पु॒ना॒नः । क॒लशे॑षु । आ । वस्त्रा॑णि । अ॒रु॒षः । हरिः॑ । परि॑ । गव्या॑नि । अ॒व्य॒त॒ ॥ ९.८.६

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:8» मन्त्र:6 | अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:31» मन्त्र:1 | मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:6


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - वह परमात्मा (वस्त्राणि, अरुषः) विद्युत् के समान तेजरूप वस्त्रों को धारण करता हुआ (आ) प्रत्येक वस्तु को अपने भीतर रखकर (कलशेषु) प्रत्येक ब्रह्माण्ड में आप व्यापक होकर (पुनानः) सबको पवित्र कर रहा है और (हरिः) सबके दुःखों को हरनेवाला (गव्यानि, पर्यव्यत) प्रत्येक पृथिव्यादि ब्रह्माण्डों का आच्छादन कर रहा है ॥६॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा इस संसार की उत्पत्ति, स्थिति तथा प्रलय का कारण है, इसलिये उसको हरि रूप से कथन किया है, वह परमात्मा विद्युत् के समान गतिशील होकर सबको चमत्कृत करता है। उसी की ज्योति को ज्ञानवृत्ति द्वारा उपलब्ध करके योगी आनन्दित होते हैं ॥६॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - स परमात्मा (वस्त्राणि, अरुषः) विद्युदिव तेजोमयवस्त्रं दधानः (आ) समस्तवस्तूनि आत्मनि निधाय (कलशेषु) प्रतिब्रह्माण्डं व्याप्य (पुनानः) जगत् पुनाति, तथा (हरिः) सर्वापद्धारकः (गव्यानि, पर्यव्यत) पृथिव्यादि- सर्वलोकानाच्छादयति ॥६॥