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इन्दो॒ व्यव्य॑मर्षसि॒ वि श्रवां॑सि॒ वि सौभ॑गा । वि वाजा॑न्त्सोम॒ गोम॑तः ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

indo vy avyam arṣasi vi śravāṁsi vi saubhagā | vi vājān soma gomataḥ ||

पद पाठ

इन्दो॒ इति॑ । वि । अव्य॑म् । अ॒र्ष॒सि॒ । वि । श्रवां॑सि । वि । सौभ॑गा । वि । वाजा॑न् । सो॒म॒ । गोऽम॑तः ॥ ९.६७.५

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:67» मन्त्र:5 | अष्टक:7» अध्याय:2» वर्ग:13» मन्त्र:5 | मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:5


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्दो) सर्वैश्वर्यसंपन्न ! (सोम) परमात्मन् ! (अव्यं) अव्यय (विश्रवांसि) विशेष यश को तथा (विसौभगा) विशेष सौभाग्य को और (गोमतो वि वाजान्) ऐश्वर्यवाले विशेष बल को (व्यर्षसि) आप देते हैं ॥५॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा सत्कर्मों द्वारा जिस पुरुष को अपने ऐश्वर्य का पात्र समझता है, उसे अनन्त प्रकार के बल, सौभाग्य तथा यश का प्रदान करता है ॥५॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्दो) सर्वैश्वर्यसम्पन्न ! (सोम) हे परमेश्वर ! (अव्यम्) अव्ययं (विश्रवांसि) विशेषयशस्तथा (विसौभगा) अधिकसौभाग्यं तथा (गोमतो वि वाजान्) ऐश्वर्यवदधिकबलं च (व्यर्षसि) त्वं ददासि ॥५॥