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वि॒घ्नन्तो॑ दुरि॒ता पु॒रु सु॒गा तो॒काय॑ वा॒जिन॑: । तना॑ कृ॒ण्वन्तो॒ अर्व॑ते ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

vighnanto duritā puru sugā tokāya vājinaḥ | tanā kṛṇvanto arvate ||

पद पाठ

वि॒ऽघ्नन्तः॑ । दुः॒ऽइ॒ता । पु॒रु । सु॒ऽगा । तो॒काय॑ । वा॒जिनः॑ । तना॑ । कृ॒ण्वन्तः॑ । अर्व॑ते ॥ ९.६२.२

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:62» मन्त्र:2 | अष्टक:7» अध्याय:1» वर्ग:24» मन्त्र:2 | मण्डल:9» अनुवाक:3» मन्त्र:2


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (वाजिनः) पर्याप्त बलवाले सेनापति (पुरु दुरिता विघ्नन्तः) बड़ी-बड़ी आपत्तियों को हनन करते हुए (तोकाय) हमारी सन्तानों को (अर्वते) व्यापक होने के लिये (सुगा) सब प्रकार के सुखों तथा (तना) धनों का (कृण्वन्तः) संचय करते हुए भोग्य पदार्थों को उत्पन्न करते हैं ॥२॥
भावार्थभाषाः - जो सेनापति प्रजा की सन्तानों को व्यापक होने के लिये सब रास्तों को निष्कण्टक बनाता है, उक्तगुणोंवाला सेनापति राज का अङ्ग होकर राज्य की रक्षा करता है ॥२॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (वाजिनः) परिपूर्णबलवान् अयं सेनापतिः (पुरु दुरिता विघ्नन्तः) गुर्वापत्तीरपघ्नन् (तोकाय) अस्मत्सन्तानानां (अर्वते) व्यापकीभवनाय (सुगा) सर्वविधसुखानि तथा (तना) धनानि (कृण्वन्तः) सञ्चयं कुर्वन् भोग्यपदार्थानुत्पादयति ॥२॥