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संवृ॑क्तधृष्णुमु॒क्थ्यं॑ म॒हाम॑हिव्रतं॒ मद॑म् । श॒तं पुरो॑ रुरु॒क्षणि॑म् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

saṁvṛktadhṛṣṇum ukthyam mahāmahivratam madam | śatam puro rurukṣaṇim ||

पद पाठ

सव्ँम्वृ॑क्तऽधृष्णुम् । उ॒क्थ्य॑म् । म॒हाऽम॑हिव्रतम् । मद॑म् । श॒तम् । पुरः॑ । रु॒रु॒क्षणि॑म् ॥ ९.४८.२

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:48» मन्त्र:2 | अष्टक:7» अध्याय:1» वर्ग:5» मन्त्र:2 | मण्डल:9» अनुवाक:2» मन्त्र:2


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (संवृक्तधृष्णुम्) धर्मपथ को छोड़ अधर्मपथ को ग्रहण करनेवाले दुराचारियों को नाश करनेवाले (उक्थ्यम्) स्तुति करने योग्य (मदम्) बड़े श्रेष्ठ व्रतों को धारण करनेवाले (शतं पुरो रुरुक्षणिम्) आनन्दजनक दुष्कर्मियों के अनेक पुरों को नाश करनेवाले आपकी स्तुति करते हैं ॥२॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा सत्य के विरोधी अनन्त दुष्टों का भी नाश करनेवाला है, इसलिये सत्यव्रती होने के लिये उसी प्रकाशस्वरूप परमात्मा की उपासना की आवश्यकता है; उससे सम्पूर्ण अज्ञानों को दूर करके एकमात्र अपने सच्चे ज्ञान का प्रकाश करें ॥२॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (संवृक्तधृष्णुम्) धर्मपथमपहायाधर्मपथमाश्रितानां दुराचारिणां नाशकं (उक्थ्यम्) स्तुत्यं (महामहिव्रतम्) महाश्रेष्ठव्रतकर्तारम् (मदम्) आनन्दकारकं (शतं पुरो रुरुक्षणिम्) दुष्टपुरनाशकं भवन्तं स्तुमः ॥२॥