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इन्द्रा॑य सोम पवसे दे॒वेभ्य॑: सध॒माद्य॑: । इन्दो॒ वाजं॑ सिषाससि ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

indrāya soma pavase devebhyaḥ sadhamādyaḥ | indo vājaṁ siṣāsasi ||

पद पाठ

इन्द्रा॑य । सो॒म॒ । प॒व॒से॒ । दे॒वेभ्यः॑ । स॒ध॒ऽमाद्यः॑ । इन्दो॒ इति॑ । वाज॑म् । सि॒सा॒स॒सि॒ ॥ ९.२३.६

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:23» मन्त्र:6 | अष्टक:6» अध्याय:8» वर्ग:13» मन्त्र:6 | मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:6


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोम) हे परमात्मन् ! (इन्द्राय) कर्मयोगी के लिये तुम (पवसे) पवित्रता देते हो और (देवेभ्यः) विद्वान् लोगों के लिये तुम (सधमाद्यः) यज्ञ में सेवनीय हो और (इन्दो) हे परमैश्वर्य्ययुक्त परमात्मन् ! आप (वाजम् सिषाससि) सबको अन्नदान देते हो ॥६॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा ही कर्मयोगी को कर्म्मों में लगने का बल देता है और परमात्मा ही सत्कर्मी पुरुषों को यज्ञ करने का सामर्थ्य प्रदान करता है। बहुत क्या, परमात्मा ही अन्य धनादि सम्पूर्ण ऐश्वर्यों का प्रदान करता है ॥६॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सोम) हे परमात्मन् ! (इन्द्राय) कर्मयोगिणे (पवसे) पवित्रतां ददासि त्वम् (देवेभ्यः) विद्वद्भ्यश्च (सधमाद्यः) यज्ञे सेव्यरूपेणास्ते (इन्दो) हे परमैश्वर्यशालिन् ! त्वमेव (वाजम् सिषाससि) सर्वेभ्योऽन्नं ददासि ॥६॥