सखा॑य॒ आ नि षी॑दत पुना॒नाय॒ प्र गा॑यत । शिशुं॒ न य॒ज्ञैः परि॑ भूषत श्रि॒ये ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
sakhāya ā ni ṣīdata punānāya pra gāyata | śiśuṁ na yajñaiḥ pari bhūṣata śriye ||
पद पाठ
सखा॑यः । आ । नि । सी॒द॒त॒ । पु॒ना॒नाय॑ । प्र । गा॒य॒त॒ । शिशु॑म् । न । य॒ज्ञैः । परि॑ । भू॒ष॒त॒ । श्रि॒ये ॥ ९.१०४.१
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:104» मन्त्र:1
| अष्टक:7» अध्याय:5» वर्ग:7» मन्त्र:1
| मण्डल:9» अनुवाक:7» मन्त्र:1
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (सखायः) हे उपासक लोगों ! आप (आनिषीदत) यज्ञवेदी पर आकर स्थिर हों, (पुनानाय) जो सबको पवित्र करनेवाला है, उसके लिये (प्रगायत) गायन करो (श्रिये) ऐश्वर्य्य के लिये (शिशुम्) “यः शंसनीयो भवति स शिशुः” जो प्रशंसा के योग्य है, उसको (यज्ञैः) ज्ञानयज्ञादि द्वारा (परिभूषत) अलंकृत करो ॥१॥
भावार्थभाषाः - उपासक लोग परमात्मा का ज्ञानयज्ञादि द्वारा आह्वान करके उसके ज्ञान का सर्वत्र प्रचार करते हैं ॥१॥
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (सखायः) हे उपासकाः ! यूयं (आ, निषीदत) यज्ञवेद्यामागत्य विराजध्वं (पुनानाय) सर्वशोधकाय परमात्मने (प्रगायत) साधुगानं कुरुत (श्रिये) ऐश्वर्याय (शिशुम्, न) शंसनीयमिव (यज्ञैः) ज्ञानयज्ञादिभिः (परि, भूषत) अलङ्कुरुत ॥१॥