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अ॒श्विना॒ सु वि॒चाक॑शद्वृ॒क्षं प॑रशु॒माँ इ॑व । अन्ति॒ षद्भू॑तु वा॒मव॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

aśvinā su vicākaśad vṛkṣam paraśumām̐ iva | anti ṣad bhūtu vām avaḥ ||

पद पाठ

अ॒श्विना॑ । सु । वि॒ऽचाक॑शत् । वृ॒क्षम् । प॒र॒शु॒मान्ऽइ॑व । अन्ति॑ । सत् । भू॒तु॒ । वा॒म् । अवः॑ ॥ ८.७३.१७

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:73» मन्त्र:17 | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:20» मन्त्र:7 | मण्डल:8» अनुवाक:8» मन्त्र:17


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे राजा और अमात्य ! आप दोनों (सहस्रः) बहुत (गव्येभिः) गो-समूहों और (अश्व्यैः) अश्व-समूहों के साथ अर्थात् हम लोगों को देने के लिये बहुत सी गौवों को और घोड़ों को लेकर (नः) हमारे निकट (उपागच्छतम्) आवें। राजा को उचित है कि वह प्रजाहित-साधक कार्य्यों में बहुत धन लगावे ॥१४॥
भावार्थभाषाः - राजा देश को धन-धान्य से पूर्ण रक्खे, प्रजा में कभी दुर्भिक्षादि पीड़ा न हो ॥१४॥
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे राजामात्यौ ! सहस्रैरनन्तैः। गव्येभिः=गोसमूहैः। अश्व्यैः=अश्वसमूहैर्धनैः। नोऽस्मान्। आसमन्तात्। उप+आगच्छतं=समीपमागच्छतम्। राजा बहूनि धनानि प्रजाहितेषु कार्य्येषु नियोजयेदिति शिक्षते ॥१४॥