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ऋ॒ज्रावि॑न्द्रो॒त आ द॑दे॒ हरी॒ ऋक्ष॑स्य सू॒नवि॑ । आ॒श्व॒मे॒धस्य॒ रोहि॑ता ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ṛjrāv indrota ā dade harī ṛkṣasya sūnavi | āśvamedhasya rohitā ||

पद पाठ

ऋ॒ज्रौ । इ॒न्द्रो॒ते । आ । द॒दे॒ । हरी॒ इति॑ । ऋक्ष॑स्य । सू॒नवि॑ । आ॒श्व॒ऽमे॒धस्य॑ । रोहि॑ता ॥ ८.६८.१५

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:68» मन्त्र:15 | अष्टक:6» अध्याय:5» वर्ग:3» मन्त्र:5 | मण्डल:8» अनुवाक:7» मन्त्र:15


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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे भगवन् (नः+तन्वे) हमारे शरीर या पुत्र के लिये (उरु+कृधि) बहुत सुख दो, (तने) हमारे पौत्र के लिये बहुत सुख दो, (नः+क्षयाय+कृधि) हमारे निवास के लिये कल्याण करो, (नः+जीवसे) हमारे जीवन के लिये (उरु+यन्धि) बहुत सुख दो ॥१२॥
भावार्थभाषाः - क्षय=वैदिक भाषा में क्षय शब्द निवासार्थक है। यन्धि=यम धातु दानार्थक है। आशय इसका यह है कि हम शुभ कर्म करें, अवश्य उसका फल सुख मिलेगा ॥१२॥
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शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे भगवन् ! नः=अस्माकम्। तन्वे=शरीराय=शरीरजाय पुत्राय वा। उरु=विस्तीर्णं बहु च सुखं कुरु। तने=पौत्राय च। उरु=बहु सुखं कुरु। नोऽस्माकम्। क्षयाय=निवासाय कल्याणम्। कृधि। नोऽस्माकम्। जीवसे=जीवनाय। उरु=सुखम्। यन्धि=यच्छ देहि ॥१२॥