वांछित मन्त्र चुनें

उत्त्वा॑ मन्दन्तु॒ स्तोमा॑: कृणु॒ष्व राधो॑ अद्रिवः । अव॑ ब्रह्म॒द्विषो॑ जहि ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ut tvā mandantu stomāḥ kṛṇuṣva rādho adrivaḥ | ava brahmadviṣo jahi ||

पद पाठ

उत् । त्वा॒ । म॒न्द॒न्तु॒ । स्तोमाः॑ । कृ॒णु॒ष्व । राधः॑ । अ॒द्रि॒ऽवः॒ । अव॑ । ब्र॒ह्म॒ऽद्विषः॑ । ज॒हि॒ ॥ ८.६४.१

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:64» मन्त्र:1 | अष्टक:6» अध्याय:4» वर्ग:44» मन्त्र:1 | मण्डल:8» अनुवाक:7» मन्त्र:1


बार पढ़ा गया

शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यों ! हम सब (युष्माभिः) आप लोगों के साथ मिलकर (मरुत्वतः) प्राणप्रद परमात्मा के गुणों और यशों को बढ़ाने के लिये ही (स्याम) जीवन धारण करें तथा (तत्+दधानाः) सदा उसको अपने-अपने सर्व कर्म में धारण करें और उसी से (अवस्यवः) रक्षा की इच्छा करें और (दक्षपितरः) बलों के स्वामी होवें ॥१०॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यों ! ईश्वर हमारा पिता है, हम उसके पुत्र हैं, अतः हमारा जीवन उसके गुणों और यशों को सदा बढ़ावे अर्थात् हम उसके समान पवित्र सत्य आदि होवें। हम उसको कदापि न त्यागें ॥१०॥
बार पढ़ा गया

शिव शंकर शर्मा

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्याः ! वयं सर्वे। युष्माभिः सह। मरुत्वतः=प्राणप्रदस्य ईश्वरस्य। वृधे=गुणानां यशसां च वर्धनाय। तत्=तमीशम्। दधानाः। अवस्यवः=रक्षाकामाः। दक्षपितरः=बलस्वामिनश्च। स्याम ॥१०॥