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हि॒र॒ण्ययी॑ वां॒ रभि॑री॒षा अक्षो॑ हिर॒ण्यय॑: । उ॒भा च॒क्रा हि॑र॒ण्यया॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

hiraṇyayī vāṁ rabhir īṣā akṣo hiraṇyayaḥ | ubhā cakrā hiraṇyayā ||

पद पाठ

हि॒र॒ण्ययी॑म् । वा॒म् । रभिः॑ । ई॒षा । अक्षः॑ । हि॒र॒ण्ययः॑ । उ॒भा । च॒क्रा । हि॒र॒ण्यया॑ ॥ ८.५.२९

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:5» मन्त्र:29 | अष्टक:5» अध्याय:8» वर्ग:6» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:1» मन्त्र:29


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शिव शंकर शर्मा

राजा के आयोजन कहते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - हे राजन् तथा अमात्यादिवर्ग ! (वाम्) आप दोनों के रथ की (रभिः) आलम्बन देनेवाली (ईषा) ईषा (हिरण्ययी) सुवर्णनिर्मित हो (अक्षः) अक्ष भी (हिरण्ययः) सुवर्णमय हो और (उभा) दोनों (चक्रा) चक्र=पहिये (हिरण्यया) सुवर्णरचित हों ॥२९॥
भावार्थभाषाः - प्रजाओं से नियुक्त राजा शोभन रथ आदि आयोजन पाने योग्य है ॥२९॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (वाम्) आपके रथ का (रभिः, ईषा) आधारदण्ड (हिरण्ययी) हिरण्मय है (अक्षः, हिरण्ययः) अक्ष हिरण्मय है (उभा, चक्रा) दोनों चक्र (हिरण्यया) हिरण्मय हैं ॥२९॥
भावार्थभाषाः - हे ऐश्वर्य्यशालिन् ! आपके रथ=यान का आधारदण्ड=धुरा सुवर्णमय, अक्ष=अग्रभाग सुवर्णमय और दोनों चक्र=पहिये सुवर्णमय हैं अर्थात् आपका सम्पूर्ण यान सुवर्ण का है ॥२९॥
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शिव शंकर शर्मा

राजायोजनमाह।

पदार्थान्वयभाषाः - हे राजानौ। वाम्=युवयो रथस्य। रभिः=आलम्बनभूता। ईषा। हिरण्ययी=हिरण्यमयी सुवर्णविकारा भवेत्। अक्षोऽपि। हिरण्ययः=हिरण्यनिर्मितः स्यात्। पुनः। उभा=उभौ। चक्रा=चक्रौ अपि। हिरण्यया=कनकनिर्मितौ स्याताम् ॥२९॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (वाम्) युवयोः (रभिः, ईषा) आधारदण्डः (हिरण्ययी) हिरण्मयः (अक्षः, हिरण्ययः) अक्षश्च हिरण्मयः (उभा, चक्रा) उभौ चक्रौ (हिरण्यया) हिरण्मयौ स्तः ॥२९॥