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उप॑ नो यातमश्विना रा॒या वि॑श्व॒पुषा॑ स॒ह । म॒घवा॑ना सु॒वीरा॒वन॑पच्युता ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

upa no yātam aśvinā rāyā viśvapuṣā saha | maghavānā suvīrāv anapacyutā ||

पद पाठ

उप॑ । नः॒ । या॒त॒म् । अ॒श्वि॒ना॒ । रा॒या । वि॒श्व॒ऽपुषा॑ । स॒ह । म॒घऽवा॑ना । सु॒ऽवीरौ॑ । अन॑पऽच्युता ॥ ८.२६.७

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:26» मन्त्र:7 | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:27» मन्त्र:2 | मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:7


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शिव शंकर शर्मा

पुनः उसी को दिखलाते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (अश्विना) हे राजा तथा मन्त्रिदल ! (विश्वपुषा) सबको पोषण करनेवाली (राया) धनसम्पत्तियों के साथ (नः) हम लोगों के (उपयातम्) निकट आवें अर्थात् हम प्रजाओं को अपने उद्योग और वाणिज्यादि द्वारा धनसम्पन्न बनावें, क्योंकि आप (मघवाना) परम धनाढ्य हैं, (सुवीरौ) वीरुपुरुषों से युक्त (अनपच्युतौ) पतनरहित हैं ॥७॥
भावार्थभाषाः - जिस हेतु राष्ट्र के हितसाधन के लिये राजा के निकट सर्वसाधन उपस्थित रहते हैं, अतः राजदल को सदा प्रजा के अभ्युदय के लिये प्रयत्न करना उचित है ॥७॥
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शिव शंकर शर्मा

पुनस्तदेव दर्शयति।

पदार्थान्वयभाषाः - हे अश्विना=अश्विनौ ! विश्वपुषा=सर्वपोषकेण। राया=धनेन सह। नः=अस्मान्। उपयातम्। यतो युवाम्। मघवाना=मघवानौ=धनवन्तौ। सुवीरौ। पुनः। अनपच्युता=अपच्युतिरहितौ ॥७॥