वायो॑ या॒हि शि॒वा दि॒वो वह॑स्वा॒ सु स्वश्व्य॑म् । वह॑स्व म॒हः पृ॑थु॒पक्ष॑सा॒ रथे॑ ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
vāyo yāhi śivā divo vahasvā su svaśvyam | vahasva mahaḥ pṛthupakṣasā rathe ||
पद पाठ
वायो॒ इति॑ । या॒हि । शि॒व॒ । आ । दि॒वः । वह॑स्व । सु । सु॒ऽअश्व्य॑म् । वह॑स्व । म॒हः । पृ॒थु॒ऽपक्ष॑सा । रथे॑ ॥ ८.२६.२३
ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:26» मन्त्र:23
| अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:30» मन्त्र:3
| मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:23
बार पढ़ा गया
शिव शंकर शर्मा
पुनः वही विषय आ रहा है।
पदार्थान्वयभाषाः - (शिव+वायो) हे कल्याणकारी सेनानायक (दिवः+याहि) क्रीड़ास्थान को त्याग करके भी प्रजा की ओर पहुँचें, (स्वश्व्यम्+सुवहस्व) रथ में सुन्दर-२ घोड़े लगाकर प्रजा की सम्पत्ति की वृद्धि के लिये देश में भ्रमण करें। (पृथुपक्षसा) स्थूल पदार्थवाले घोड़ों को (महः+रथे) महान् रथ में (वहस्व) लगावें ॥२३॥
भावार्थभाषाः - सेनापति स्थायी सुदृढ़ रथों पर आरूढ़ होकर कल्याणार्थ देश में भ्रमण करें ॥२३॥
बार पढ़ा गया
शिव शंकर शर्मा
पुनस्तदनुवर्तते।
पदार्थान्वयभाषाः - हे शिव+वायो=कल्याणकारिन् ! त्वम्। दिवः=क्रीडास्थानादपि। आयाहि। स्वश्व्यम्=शोभनाश्वयुक्तं रथम्। सुवहस्व। पृथुपक्षसा=स्थूलपक्षौ। अश्वौ। महः=महति। रथे। वहस्व=योजय ॥२३॥