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उ॒त न॒: सिन्धु॑र॒पां तन्म॒रुत॒स्तद॒श्विना॑ । इन्द्रो॒ विष्णु॑र्मी॒ढ्वांस॑: स॒जोष॑सः ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

uta naḥ sindhur apāṁ tan marutas tad aśvinā | indro viṣṇur mīḍhvāṁsaḥ sajoṣasaḥ ||

पद पाठ

उ॒त । नः॒ । सिन्धुः॑ । अ॒पाम् । तत् । म॒रुतः॑ । तत् । अ॒श्विना॑ । इन्द्रः॑ । विष्णुः॑ । मी॒ढ्वांसः॑ । स॒ऽजोष॑सः ॥ ८.२५.१४

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:25» मन्त्र:14 | अष्टक:6» अध्याय:2» वर्ग:23» मन्त्र:4 | मण्डल:8» अनुवाक:4» मन्त्र:14


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शिव शंकर शर्मा

आशीर्वाद की याचना करते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - (उत) और (अपां+सिन्धुः) जलों का सागर मेघ (मरुतः) वायु और सेनानायक (अश्विना) सद्वैद्य और सूर्य्य, चन्द्र (इन्द्रः+विष्णुः) राजा और सभाध्यक्ष विद्युत् और द्युलोकस्थ पदार्थ ये सब (सजोषसः) मिलकर (नः+तत्+तत्) हम लोगों के उस-२ अभ्युदय को बचावें, बढ़ावें और कृपादृष्टि से देखें और (मीढ्वांसः) सुखों के वर्षा करनेवाले होवें ॥१४॥
भावार्थभाषाः - चेतन और अचेतन दोनों से जगत् का निर्वाह हो रहा है, अतः इन दोनों से बुद्धिमान् लाभ उठावें ॥१४॥
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शिव शंकर शर्मा

आशीर्वादं याचते।

पदार्थान्वयभाषाः - उतापि च। नोऽस्माकं तद्धनम्। अपां सिन्धुर्मेघः। मरुतः। अश्विना=अश्विनौ। इन्द्रो विष्णुश्च। एते। मीढ्वांसः=सेक्तारः। सजोषसः=संगताः सन्तः। पान्तु ॥१४॥