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इ॒मे त॑ इन्द्र॒ सोमा॑स्ती॒व्रा अ॒स्मे सु॒तास॑: । शु॒क्रा आ॒शिरं॑ याचन्ते ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ime ta indra somās tīvrā asme sutāsaḥ | śukrā āśiraṁ yācante ||

पद पाठ

इ॒मे । ते॒ । इ॒न्द्र॒ । सोमाः॑ । ती॒व्राः । अ॒स्मे इति॑ । सु॒तासः॑ । शु॒क्राः । आ॒ऽशिर॑म् । या॒च॒न्ते॒ ॥ ८.२.१०

ऋग्वेद » मण्डल:8» सूक्त:2» मन्त्र:10 | अष्टक:5» अध्याय:7» वर्ग:18» मन्त्र:5 | मण्डल:8» अनुवाक:1» मन्त्र:10


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शिव शंकर शर्मा

सर्व पदार्थ का ईशाधीनत्व इससे दिखलाते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - ईश्वर-कृपा विना कोई भी वस्तु जीवित नहीं रह सकती, उसी के आश्रय में सब पदार्थ हैं। वह इससे शिक्षा देते हैं। यथा−(इन्द्र) हे सर्वद्रष्टा परमात्मा (इमे) ये जो दृश्यमान (ते) तेरे ही बनाए हुए (सोमाः) सब पदार्थ हैं और जो ये (अस्मे) हम लोगों से बनाए हुए (तीव्राः) तीव्र या (शुक्राः) दीप्तिमान् शुद्ध पदार्थ हैं, वे सब ही तुझसे (आशिरम्) आशीर्वाद (याचन्ते) माँगते हैं ॥१०॥
भावार्थभाषाः - क्या स्थावर और क्या जङ्गम, सर्व पदार्थ ही ईश्वर से अपना खाद्य पदार्थ माँग रहे हैं। क्या ही विलक्षण यह संसार है ॥१०॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्र) हे कर्मयोगिन् ! (अस्मे, सुतासः) हम लोगों से निष्पादित (शुक्राः) शुद्ध (तीव्राः) पौष्टिक (इमे, ते) ये आपके (सोमाः) सौम्यरस (आशिरं, याचन्ते) आश्रय की याचना कर रहे हैं ॥१०॥
भावार्थभाषाः - याज्ञिक लोगों का कथन है कि हे कर्मयोगिन् महात्माओ ! हम लोगों से सिद्ध किया हुआ यह शुद्ध, पौष्टिक सोमरस आपके लिये उपस्थित है, आप इसका पान करें।
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शिव शंकर शर्मा

सर्वस्येशस्य निघ्नत्वं दर्शयति।

पदार्थान्वयभाषाः - ईश्वरकृपां विना किमपि वस्तु प्राणितुं न शक्नोति तदाश्रयत्वमेव सर्वेषामित्यनया ऋचा शिक्षते। यथा−हे इन्द्र ! इमे=दृश्यमानाः। ते=तवैवोत्पादितास्तवाधीनाः। सोमाः=सर्वे पदार्थाः। तथा अस्मे=अस्माभिश्च। सुतासः=सुता यज्ञार्थं निष्पादिताः। ये तीव्रास्तीक्ष्णाः। ये शुक्राः=दीप्तिमन्तः पदार्थाः सन्ति। ते सर्वे त्वामेव। आशिरम्=आशीर्वादम्। याचन्ते=प्रार्थयन्ते ॥१०॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्र) हे कर्मयोगिन् ! (अस्मे, सुतासः) अस्माभिः शोधिताः (शुक्राः) शुद्धाः (तीव्राः) पौष्टिकाः (इमे, ते) इमे तव (सोमाः) सौम्यरसाः (आशिरं, याचन्ते) आश्रयणं याचन्ते ॥१०•॥