सा विट् सु॒वीरा॑ म॒रुद्भि॑रस्तु स॒नात्सह॑न्ती॒ पुष्य॑न्ती नृ॒म्णम् ॥५॥
sā viṭ suvīrā marudbhir astu sanāt sahantī puṣyantī nṛmṇam ||
सा। विट्। सु॒ऽवीरा॑। म॒रुत्ऽभिः॑। अ॒स्तु॒। स॒नात्। सह॑न्ती। पुष्य॑न्ती। नृ॒म्णम् ॥५॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
कौन प्रजा उत्तम है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
का प्रजा उत्तमेत्याह ॥
या सुवीरा विट् मरुद्भिः सनात् नृम्णं पुष्यन्ती पीडां सहन्ती वर्त्तते साऽस्माकमस्तु ॥५॥