आला॑क्ता॒ या रुरु॑शी॒र्ष्ण्यथो॒ यस्या॒ अयो॒ मुख॑म्। इ॒दं प॒र्जन्य॑रेतस॒ इष्वै॑ दे॒व्यै बृ॒हन्नमः॑ ॥१५॥
ālāktā yā ruruśīrṣṇy atho yasyā ayo mukham | idam parjanyaretasa iṣvai devyai bṛhan namaḥ ||
आल॑ऽअक्ता। या। रुरु॑ऽशीर्ष्णी। अथो॒ इति॑। यस्याः॑। अयः॑। मुख॑म्। इ॒दम्। प॒र्जन्य॑ऽरेतसे। इष्वै॑। दे॒व्यै। बृ॒हत्। नमः॑ ॥१५॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर रानी कैसी हो, इस विषय को कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुना राज्ञी कीदृशी भवेदित्याह ॥
याऽऽलाक्ता रुरुशीर्ष्ण्यथो यस्या इदमयो मुखमस्ति तद्धर्त्र्ये पर्जन्यरेतसे देव्या इष्वै शूरवीरायै स्त्रियै बृहन्नमोऽस्तु ॥१५॥