रु॒द्रस्य॒ ये मी॒ळ्हुषः॒ सन्ति॑ पु॒त्रा यांश्चो॒ नु दाधृ॑वि॒र्भर॑ध्यै। वि॒दे हि मा॒ता म॒हो म॒ही षा सेत्पृश्निः॑ सु॒भ्वे॒३॒॑ गर्भ॒माधा॑त् ॥३॥
rudrasya ye mīḻhuṣaḥ santi putrā yām̐ś co nu dādhṛvir bharadhyai | vide hi mātā maho mahī ṣā set pṛśniḥ subhve garbham ādhāt ||
रु॒द्रस्य॑। ये। मी॒ळ्हुषः॑। सन्ति॑। पु॒त्राः। यान्। चो॒ इति॑। नु। दाधृ॑विः। भर॑ध्यै। वि॒दे। हि। मा॒ता। म॒हः। म॒ही। सा। सा। इत्। पृश्निः॑। सु॒ऽभ्वे॑। गर्भ॑म्। आ। अ॒धा॒त् ॥३॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
किन स्त्री-पुरुषों के पुत्र उत्तम होते हैं, इस विषय को कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
कयोः पुत्रा वरा जायन्त इत्याह ॥
हे मनुष्या ! ये मीळ्हुषो रुद्रस्य पुत्राः सन्ति याँश्चो भरध्यै दाधृविर्मही सा माताऽऽधात् सेत् पृश्निरिव सुभ्वे विदे हि महो गर्भं न्वधात्ताँस्ताञ्च यूयं भाग्युक्तान् विजानीत ॥३॥