प्र णो॑ दे॒वी सर॑स्वती॒ वाजे॑भिर्वा॒जिनी॑वती। धी॒नाम॑वि॒त्र्य॑वतु ॥४॥
pra ṇo devī sarasvatī vājebhir vājinīvatī | dhīnām avitry avatu ||
प्र। नः॒। दे॒वी। सर॑स्वती। वाजे॑भिः। वा॒जिनी॑ऽवती। धी॒नाम्। अ॒वि॒त्री। अ॒व॒तु॒ ॥४॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर वह कैसी रक्षा करनेवाली है, इस विषय को कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनः सा कीदृशी रक्षिकेत्याह ॥
हे सन्ताना ! या देवी वाजेभिर्वाजिनीवती सरस्वती नो धीनामवित्री प्रावतु तां यूयं स्वीकुरुत ॥४॥