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इन्द्रा॑ग्नी अ॒पादि॒यं पूर्वागा॑त्प॒द्वती॑भ्यः। हि॒त्वी शिरो॑ जि॒ह्वया॒ वाव॑द॒च्चर॑त्त्रिं॒शत्प॒दा न्य॑क्रमीत् ॥६॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

indrāgnī apād iyam pūrvāgāt padvatībhyaḥ | hitvī śiro jihvayā vāvadac carat triṁśat padā ny akramīt ||

पद पाठ

इन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑। अ॒पात्। इ॒यम्। पूर्वा॑। आ। अ॒गा॒त्। प॒त्ऽवती॑भ्यः। हि॒त्वी। शिरः॑। जि॒ह्वया॑। वाव॑दत्। चर॑त्। त्रिं॒शत्। प॒दा। नि। अ॒क्र॒मी॒त् ॥६॥

ऋग्वेद » मण्डल:6» सूक्त:59» मन्त्र:6 | अष्टक:4» अध्याय:8» वर्ग:26» मन्त्र:1 | मण्डल:6» अनुवाक:5» मन्त्र:6


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

बिजुली का जाननेवाला क्या कर सकता है, इस विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - जो (जिह्वया) वाणी से (वावदत्) निरन्तर कहता है और जो (इयम्) यह (अपात्) पैररहित (पूर्वा) पूर्ण वा अग्रस्थ (पद्वतीभ्यः) पैरों से की हुई गतियों से (शिरः) शिर के तुल्य मुख्य वचन को (हित्वी) त्याग कर बिजुली (आ, अगात्) प्राप्त होती है तथा (त्रिंशत्) आकाश और प्रकाश को छोड़ कर सब भूमि आदि पदार्थरूपी (पदा) स्थानों को (नि, अक्रमीत्) क्रम-क्रम से पहुँचती और शीघ्र (चरत्) चलती है, इससे (इन्द्राग्नी) वायु और बिजुली को जानता है, वही मनुष्य बिजुली की विद्या को जाननेवाला होता है ॥६॥
भावार्थभाषाः - हे विद्वानो ! आप यदि बिजुली की विद्या को अच्छे प्रकार ग्रहण करो तो सब यानों से शीघ्र जाने को तथा और काम सिद्ध कर सकते हो ॥६॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

विद्युद्वित्किं कर्तुं शक्नोतीत्याह ॥

अन्वय:

यो जिह्वया वावदद्येयमपात्पूर्वा पद्वतीभ्यश्शिरो हित्वी विद्युदागात्त्रिंशत् पदा न्यक्रमीत्सद्यश्चरत्तयेन्द्राग्नी विजानाति स एव मनुष्यो विद्युद्विद्याविद्भवति ॥६॥

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्राग्नी) वायुविद्युतौ (अपात्) पादरहिता (इयम्) विद्युत् (पूर्वा) पूर्णाऽग्रस्था वा (आ) (अगात्) गच्छति (पद्वतीभ्यः) पद्भ्यां कृताभ्यो गतिभ्यः (हित्वी) त्यक्त्वा (शिरः) शिरोवन् मुख्यं वचनम् (जिह्वया) (वाचा) (वावदत्) भृशं वदति (चरत्) गच्छति (त्रिंशत्) आकाशं द्यां च वर्जयित्वा सर्वान् भूम्यादीन् पदार्थान् (पदा) पदानि (नि) नितराम् (अक्रमीत्) क्रामति ॥६॥
भावार्थभाषाः - हे विद्वांसो ! भवन्तो यदि विद्युद्विद्यां सङ्गृह्णीयुस्तर्हि सर्वेभ्यो यानेभ्यः सद्यो गन्तुमन्यानि कार्याणि च साद्धुं शक्नुवन्ति ॥६॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे विद्वानांनो! तुम्ही विद्युत विद्या चांगल्या प्रकारे शिकल्यास यानांतून तात्काळ जाऊ शकता व काम सिद्ध करू शकता. ॥ ६ ॥