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आ रि॑ख किकि॒रा कृ॑णु पणी॒नां हृद॑या कवे। अथे॑म॒स्मभ्यं॑ रन्धय ॥७॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ā rikha kikirā kṛṇu paṇīnāṁ hṛdayā kave | athem asmabhyaṁ randhaya ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ। रि॒ख॒। कि॒कि॒रा। कृ॒णु॒। प॒णी॒नाम्। हृद॑या। क॒वे॒। अथ॑। ई॒म्। अ॒स्मभ्य॑म्। र॒न्ध॒य॒ ॥७॥

ऋग्वेद » मण्डल:6» सूक्त:53» मन्त्र:7 | अष्टक:4» अध्याय:8» वर्ग:18» मन्त्र:2 | मण्डल:6» अनुवाक:5» मन्त्र:7


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर राजा क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (कवे) विद्वन् ! आप (पणीनाम्) व्यवहार करनेवालों के (किकिरा) व्यवस्थापत्रों को (आ, रिख) सब ओर से लिखो तथा दुष्टों के (हृदया) हृदयों को (रन्धय) अति पीड़ा देओ (अथ) इसके अनन्तर (अस्मभ्यम्) हम लोगों के लिये (ईम्) सुख (कृणु) करो ॥७॥
भावार्थभाषाः - राजा वादी और प्रतिवादी अर्थात् झगड़ालु प्रतिझगड़ालूओं का लिखापढ़ी पूर्वक न्याय करे ॥७॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुना राजा किं कुर्य्यादित्याह ॥

अन्वय:

हे कवे ! त्वं पणीनां किकिराऽऽरिख दुष्टानां हृदया रन्धयाऽथाऽस्मभ्यमीं कृणु ॥७॥

पदार्थान्वयभाषाः - (आ) समन्तात् (रिख) लिख (किकिरा) व्यवस्थापत्राणि (कृणु) (पणीनाम्) व्यवहर्तॄणाम् (हृदया) हृदयानि (कवे) विद्वन् (अथ) (ईम्) सुखम् (अस्मभ्यम्) (रन्धय) ताडय ॥७॥
भावार्थभाषाः - राजा वादिप्रतिवादिनां लेखपुरस्सरं न्यायं कुर्यात् ॥७॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - राजाने वादी व प्रतिवादींचा लिखित स्वरूपात न्याय करावा. ॥ ७ ॥