ऋ॒ष्टयो॑ वो मरुतो॒ अंस॑यो॒रधि॒ सह॒ ओजो॑ बा॒ह्वोर्वो॒ बलं॑ हि॒तम्। नृ॒म्णा शी॒र्षस्वायु॑धा॒ रथे॑षु वो॒ विश्वा॑ वः॒ श्रीरधि॑ त॒नूषु॑ पिपिशे ॥६॥
ṛṣṭayo vo maruto aṁsayor adhi saha ojo bāhvor vo balaṁ hitam | nṛmṇā śīrṣasv āyudhā ratheṣu vo viśvā vaḥ śrīr adhi tanūṣu pipiśe ||
ऋ॒ष्टयः॑। वः॒। म॒रु॒तः॒। अंस॑योः। अधि॑। सहः॑। ओजः॑। बा॒ह्वोः। वः॒। बल॑म्। हि॒तम्। नृ॒म्णा। शी॒र्षऽसु॑। आयु॑धा। रथे॑षु। वः॒। विश्वा॑। श्रीः। अधि॑। त॒नूषु॑। पि॒पि॒शे॒ ॥६॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर मरुद्विषय में यान चलाने के फल को कहते हैं ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनर्मरुद्विषये यानचालनफलमाह ॥
हे ऋष्टयो मरुतो ! वोंऽसयोर्यत्सह ओजो बाह्वोर्वो बलं हितं शीर्षस्वधि नृम्णाऽऽयुधा रथेषु वो विश्वा श्रीरधि पिपिशे वस्तनूषु श्रीरधि पिपिशे ता यूयं सङ्गृह्णीत ॥६॥