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अ॒स्मे तदि॑न्द्रावरुणा॒ वसु॑ ष्याद॒स्मे र॒यिर्म॑रुतः॒ सर्व॑वीरः। अ॒स्मान्वरू॑त्रीः शर॒णैर॑वन्त्व॒स्मान्होत्रा॒ भार॑ती॒ दक्षि॑णाभिः॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

asme tad indrāvaruṇā vasu ṣyād asme rayir marutaḥ sarvavīraḥ | asmān varūtrīḥ śaraṇair avantv asmān hotrā bhāratī dakṣiṇābhiḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒स्मे इति॑। तत्। इ॒न्द्रा॒व॒रु॒णा॒। वसु॑। स्या॒त्। अ॒स्मे इति॑। र॒यिः। म॒रु॒तः॒। सर्व॑ऽवीरः। अ॒स्मान्। वरू॑त्रीः। श॒र॒णैः। अ॒व॒न्तु॒। अ॒स्मान्। होत्रा॑। भार॑ती। दक्षि॑णाभिः॥

ऋग्वेद » मण्डल:3» सूक्त:62» मन्त्र:3 | अष्टक:3» अध्याय:4» वर्ग:9» मन्त्र:3 | मण्डल:3» अनुवाक:5» मन्त्र:3


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब अगले मन्त्र में अध्यापक के विषय को कहते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - हे (इन्द्रावरुणा) पवन और बिजुली के सदृश वर्त्तमान ! जैसे (अस्मे) हम लोगों में (तत्) वह (वसु) धन (स्यात्) होवै और (अस्मे) हम लोगों में (सर्ववीरः) सब वीर जिससे ऐसी (रयिः) लक्ष्मी होवै और हे (मरुतः) मनुष्यों जैसे (अस्मान्) हम लोगों को (वरूत्रीः) अत्यन्त श्रेष्ठ विद्या (होत्रा) ग्रहण करने योग्य क्रिया और (भारती) सम्पूर्ण विद्याओं को पूर्ण करती हुई वाणी (शरणैः) दुःख आदिकों के नाश करनेवाले (दक्षिणाभिः) दानों से (अस्मान्) हम लोगों की (अवन्तु) रक्षा करैं, वैसा ही प्रयत्न करो ॥३॥
भावार्थभाषाः - हे अध्यापक, उपदेशक और राजा लोगों ! जैसे हम लोग धनी लक्ष्मीवान् और विद्वान् होवैं, वैसे ही हम लोगों को प्रेरणा करो ॥३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

अध्यापकविषयमाह।

अन्वय:

हे इन्द्रावरुणा यथाऽस्मे तद्वसु स्यादस्मे सर्ववीरो रयिः स्यात्। हे मरुतो यथाऽस्मान् वरूत्रीर्होत्रा भारती च शरणैर्दक्षिणाभिश्चाऽस्मानवन्तु तथैव प्रयतध्वम् ॥३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (अस्मे) अस्मासु (तत्) (इन्द्रावरुणा) वायुविद्युद्वद्वर्त्तमानौ (वसु) (स्यात्) (अस्मे) अस्मासु (रयिः) श्रीः (मरुतः) मनुष्याः (सर्ववीरः) सर्वे वीरा यस्मात् (अस्मान्) (वरूत्रीः) अत्यन्तं वराः (शरणैः) दुःखादीनां हिंसनैः (अवन्तु) (अस्मान्) (होत्रा) आदातुं योग्या (भारती) सकलविद्यां भरन्ती वाणी (दक्षिणाभिः) दानैः ॥३॥
भावार्थभाषाः - हे अध्यापकोपदेशका राजानश्च यथा वयं वसुमन्तः श्रीमन्तो विद्वांसो भवेम तथैवाऽस्मान् प्रेर्ध्वम् ॥३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे अध्यापक, उपदेशक व राजा इत्यादींनो! आम्ही धनवान, श्रीमान व विद्वान व्हावे अशी आम्हाला प्रेरणा द्या. ॥ ३ ॥