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इ॒मा ब्रह्म॑ ब्रह्मवाहः क्रि॒यन्त॒ आ ब॒र्हिः सी॑द। वी॒हि शू॑र पुरो॒ळाश॑म्॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

imā brahma brahmavāhaḥ kriyanta ā barhiḥ sīda | vīhi śūra puroḻāśam ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

इ॒मा। ब्रह्म॑। ब्र॒ह्म॒ऽवा॒हः॒। क्रि॒यन्ते॑। आ। ब॒र्हिः। सी॒द॒। वी॒हि। शू॒र॒। पु॒रो॒ळाश॑म्॥

ऋग्वेद » मण्डल:3» सूक्त:41» मन्त्र:3 | अष्टक:3» अध्याय:3» वर्ग:3» मन्त्र:3 | मण्डल:3» अनुवाक:4» मन्त्र:3


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

पदार्थान्वयभाषाः - हे (शूर) दुष्टों के नाश करनेवाले ! जो (इमाः) ये (ब्रह्मवाहः) धनों को प्राप्त करानेवाली क्रियायें (क्रियन्ते) की जाती हैं उनसे (ब्रह्म) धन को (वीहि) प्राप्त (बर्हिः) अन्तरिक्ष में (आ, सीद) वर्त्तमान और (पुरोडाशम्) उत्तम प्रकार संस्कारयुक्त अन्न को प्राप्त हो ॥३॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को चाहिये कि निष्फल क्रियाओं को कभी न करें। जिस-जिस क्रिया से धर्म, अर्थ काम और मोक्ष की सिद्धि हो। उस-उस को प्रयत्न से करो ॥३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह।

अन्वय:

हे शूर ! या इमा ब्रह्मवाहः क्रियाः क्रियन्ते ताभिर्ब्रह्म वीहि बर्हिरासीद पुरोडाशं वीहि ॥३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (इमा) (ब्रह्म) धनम् (ब्रह्मवाहः) धनप्रापिकाः (क्रियन्ते) (आ) (बर्हिः) अन्तरिक्षम् (सीद) (वीहि) प्राप्नुहि (शूर) दुष्टानां हिंसक (पुरोडाशम्) विशेषसंस्कृतमन्नम् ॥३
भावार्थभाषाः - मनुष्यैर्निष्फलाः क्रियाः कदाचिन्नैव कर्त्तव्याः। यया यया धर्मार्थकाममोक्षसिद्धिः स्यात्तां तां प्रयत्नेनानुतिष्ठन्तु ॥३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - माणसांनी निष्फल क्रिया कधी करू नये. ज्या ज्या क्रियेने धर्म, अर्थ, काम, मोक्षाची सिद्धी होते, ती प्रयत्नपूर्वक करावी. ॥ ३ ॥