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होता॑ दे॒वो अम॑र्त्यः पु॒रस्ता॑देति मा॒यया॑। वि॒दथा॑नि प्रचो॒दय॑न्॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

hotā devo amartyaḥ purastād eti māyayā | vidathāni pracodayan ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

होता॑। दे॒वः। अम॑र्त्यः। पु॒रस्ता॑त्। ए॒ति॒। मा॒यया॑। वि॒दथा॑नि। प्र॒ऽचो॒दय॑न्॥

ऋग्वेद » मण्डल:3» सूक्त:27» मन्त्र:7 | अष्टक:3» अध्याय:1» वर्ग:29» मन्त्र:2 | मण्डल:3» अनुवाक:2» मन्त्र:7


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर विद्यार्थी क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

पदार्थान्वयभाषाः - हे धर्म आदि को जानने की इच्छा करनेवाले पुरुषो ! जैसे (अमर्त्यः) मरणधर्म से रहित (होता) देनेवाला (देवः) उत्तम गुण कर्म स्वभावयुक्त पुरुष (पुरस्तात्) पहिले से (मायया) उत्तम बुद्धि के साथ (विदथानि) विज्ञानों का (प्रचोदयन्) प्रचार करता हुआ आप लोगों को (एति) प्राप्त होता है, वैसे उसको आप लोग भी प्राप्त होइये ॥७॥
भावार्थभाषाः - हे विद्यार्थी जनो ! जो अध्यापक पुरुष आप लोगों के लिये कपट त्याग के विद्या आदि उत्तम गुणों को देकर उत्तम शिक्षा देवे, उसकी आप लोग भी अपने आत्मा के तुल्य सेवा करो ॥७॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनर्विद्यार्थिनः किं कुर्युरित्याह।

अन्वय:

हे जिज्ञासवो यथाऽमर्त्यो होता देवः पुरस्तान्मायया सह विदथानि प्रचोदयन् युष्मानेति तथैतं यूयमपि प्राप्नुत ॥७॥

पदार्थान्वयभाषाः - (होता) दाता (देवः) दिव्यगुणकर्मस्वभावः (अमर्त्यः) मरणधर्मरहितः (पुरस्तात्) प्रथमतः (एति) गच्छति (मायया) प्रज्ञया (विदथानि) विज्ञानानि (प्रचोदयन्) प्रज्ञापयन् ॥७॥
भावार्थभाषाः - हे विद्यार्थिनो योऽध्यापको युष्मभ्यं निष्कपटतया विद्यादिशुभगुणान् प्रदाय सुशिक्षयेत्तं यूयमप्यात्मवत्सेवध्वम् ॥७॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे विद्यार्थ्यांनो! जे अध्यापक तुमच्यासाठी कपटाचा त्याग करून विद्या इत्यादी उत्तम गुणांना देऊन सुशिक्षण देतात त्याची तुम्ही आपल्या आत्म्याप्रमाणे सेवा करा. ॥ ७ ॥