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अग्ने॑ द्यु॒म्नेन॑ जागृवे॒ सह॑सः सूनवाहुत। एदं ब॒र्हिः स॑दो॒ मम॑॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

agne dyumnena jāgṛve sahasaḥ sūnav āhuta | edam barhiḥ sado mama ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अग्ने॑। द्यु॒म्नेन॑। जा॒गृ॒वे॒। सह॑सः। सू॒नो॒ इति॑। आ॒ऽहु॒त॒। आ। इ॒दम्। ब॒र्हिः। स॒दः॒। मम॑॥

ऋग्वेद » मण्डल:3» सूक्त:24» मन्त्र:3 | अष्टक:3» अध्याय:1» वर्ग:24» मन्त्र:3 | मण्डल:3» अनुवाक:2» मन्त्र:3


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर राजधर्म विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

पदार्थान्वयभाषाः - हे (जागृवे) राजधर्म के उत्तम प्रकार निर्वाहक (सहसः) बलवान् के (सूनो) पुत्र दुष्टों के नाशकर्त्ता (आहुत) चारों ओर से पुकारे गये (अग्ने) प्रतापयुक्त राजन् ! (द्युम्नेन) यशकारक धन के सहित विराजमान आप (मम) मेरे (इदम्) इस वर्त्तमान (बर्हिः) अत्यन्त श्रेष्ठ (सदः) बैठने योग्य आसन का (आ, जुषस्व) अच्छे प्रकार सेवन करो ॥३॥
भावार्थभाषाः - जो राजपुरुष यश बलयुक्त राजधर्म में कुशल न्यायाधीश हों, वे अखण्डित राज्य की पालना कर सकें ॥३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनः राजधर्मविषयमाह।

अन्वय:

हे जागृवे सहसः सूनावाहुताऽग्ने द्युम्नेन सह वर्त्तमानस्त्वं ममेदं बर्हिः सद आजुषस्व ॥३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (अग्ने) प्रकाशयुक्त राजन् (द्युम्नेन) यशस्विना धनेन (जागृवे) जागरूक (सहसः) बलवतः (सूनो) पुत्र दुष्टानां हिंसक (आहुत) समन्तात्कृताह्वान (आ) (इदम्) वर्त्तमानम् (बर्हिः) अतीवोत्तमम् (सदः) स्थित्यर्हमासनम् (मम) ॥३॥
भावार्थभाषाः - ये राजपुरुषा यशोबलयुक्ता राजधर्मे जागरूका न्यायाधीशाः स्युस्तेऽखण्डितं राज्यं पालयितुं शक्नुयुः ॥३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे राजपुरुष यश व बलयुक्त असून राजधर्मात कुशल न्यायाधीश असतील त्यांनी अखंडित राज्याचे पालन करावे. ॥ ३ ॥