अम्बि॑तमे॒ नदी॑तमे॒ देवि॑तमे॒ सर॑स्वति। अ॒प्र॒श॒स्ताइ॑व स्मसि॒ प्रश॑स्तिमम्ब नस्कृधि॥
ambitame nadītame devitame sarasvati | apraśastā iva smasi praśastim amba nas kṛdhi ||
अम्बि॑ऽतमे। नदी॑ऽतमे। देवि॑ऽतमे। सर॑स्वति। अ॒प्र॒श॒स्ताःऽइ॑व। स्म॒सि॒। प्रऽश॑स्तिम्। अ॒म्ब॒। नः॒। कृ॒धि॒॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अब विदुषी के विषय को कहते हैं।
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अथ विदुषीविषयमाह।
हे अम्बितमे देवितमे नदीतमे सरस्वत्यम्ब त्वं येऽप्रशस्ता इव वयं स्मसि तान्नः प्रशस्तिं प्राप्तान् कृधि ॥१६॥