पदार्थान्वयभाषाः - (दशावनिभ्यः) दश कर्मों की रक्षा करनेवाली अङ्गुलियाँ जिनकी हैं, ऐसे विद्वानों को (दशकक्ष्येभ्यः) दशकर्म को प्रकाशित करनेवाली अङ्गुलियाँ जिनकी हैं, ऐसे विद्वानों को (दशयोक्त्रेभ्यः) दश संयोग करनेवाली अङ्गुलियाँ जिनकी हैं, ऐसे विद्वानों को (दशयोजनेभ्यः) दश यथायोग्य योजनाएँ करनेवाली अङ्गुलियाँ जिनकी हैं, ऐसे विद्वानों को (दशाभीशुभ्यः) दश कर्मों में व्यापनधर्मी अङ्गुलियाँ जिनकी हैं, ऐसे विद्वानों को (दश-धुरः) शत्रुओं का विध्वंस करनेवाली दश अङ्गुलियों से इस प्रकार दश कार्यविभागों से युक्त योग्य संलग्न दश महानुभावों को (अजरेभ्यः) जरारहित युवकों को (वहद्भ्यः) राज प्रजा के कार्यों को वहन करनेवाले राजप्रतिनिधि और प्रजाप्रतिनिधियों को (अर्चत) सत्कृत करो, उनकी आज्ञा का पालन करो, उनमें पाँच राजप्रतिनिधि-राज्यमन्त्री, गृहमन्त्री, अर्थमन्त्री, सैन्यबलमन्त्री और विदेशमन्त्री तथा प्रजाप्रतिनिधि ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र और निषाद-वनवासी पाँचों के पाँच मुख्य जन राष्ट्र के संचालन में आवश्यक हैं ॥७॥
भावार्थभाषाः - राष्ट्र के संचालन में पाँच राष्ट्र के अधिकारी प्रतिनिधि-राज्यमन्त्री, गृहमन्त्री, अर्थमन्त्री, सैन्यमन्त्री, विदेशमन्त्री और प्रजा के प्रतिनिधि ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र निषाद-वनवासी प्रत्येक के मुख्य जन होने चाहिए ॥७॥