पदार्थान्वयभाषाः - (देवानाम्-अग्रयावा) जीवन्मुक्तों को मोक्ष में प्रेरित करनेवाला परमात्मा अथवा विद्या की कामना करनेवालों को आगे-ऊँचे ज्ञान में प्रेरित करनेवाला विद्वान् (नराशंसः) मनुष्यों से प्रशंसनीय परमात्मा या विद्वान् (विश्वरूपेभिः-अश्वैः) समस्त निरूपणीय तथा व्यापन गुणों के साथ (आयातु) मेरे हृदय में भलीभाँति प्राप्त हो (ऋतस्य पथा) अध्यात्मयज्ञ या ज्ञानयज्ञ के मार्ग से (मनसा-मियेधः) मन से-मनन आदि से वासना हटानेवाले पात्र को प्रदीप्त करनेवाला (देवेभ्यः-देवतमः सुषूदत्) दिव्यगुणों में अत्यन्त दिव्यगुणवाला ज्ञान को अच्छी प्रकार प्रेरित करे ॥२॥
भावार्थभाषाः - जीवन्मुक्तों को मोक्ष में प्रेरित करनेवाला और उनसे प्रशंसित विशेष गुणों से व्याप्त, अध्यात्मयज्ञ के मार्ग से मनन आदि के द्वारा निर्मल तथा प्रकाशमान करनेवाला, समस्त दिव्यगुण पदार्थों में उत्तम दिव्यगुणवाला, परमात्मा आनद रस को हृदय में निर्झरित करता है। एवं विद्या चाहनेवालों को आगे प्रेरित करनेवाला विद्वान्, उनके द्वारा प्रशंसनीय ज्ञानमार्ग से तथा विचार से अज्ञान को दूर करनेवाला, ज्ञानप्रकाश को देनेवाला ऊँचा गुणवान् होकर अन्तःकरण में ज्ञान को भरता है ॥२॥