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अ॒यं मे॒ हस्तो॒ भग॑वान॒यं मे॒ भग॑वत्तरः । अ॒यं मे॑ वि॒श्वभे॑षजो॒ऽयं शि॒वाभि॑मर्शनः ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ayam me hasto bhagavān ayam me bhagavattaraḥ | ayam me viśvabheṣajo yaṁ śivābhimarśanaḥ ||

पद पाठ

अ॒यम् । मे॒ । हस्तः॑ । भग॑ऽवान् । अ॒यम् । मे॒ । भग॑वत्ऽतरः । अ॒यम् । मे॒ । वि॒श्वऽभे॑षजः । अ॒यम् । शि॒वऽअ॑भिमर्शनः ॥ १०.६०.१२

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:60» मन्त्र:12 | अष्टक:8» अध्याय:1» वर्ग:25» मन्त्र:6 | मण्डल:10» अनुवाक:4» मन्त्र:12


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (मे-अयं हस्तः भगवान्) मुझ चिकित्सक का यह एक हाथ सुखैश्वर्यवाला सुखैश्वर्य का दाता है (मे-अयं भगवत्तरः) मेरा यह दूसरा दक्षिण हाथ और अधिक सुखैश्वर्य देनेवाला है (मे-अयं विश्वभेषजः) मेरा हाथ सब रोगों का औषधरूप है (अयं शिवाभिमर्शनः) यह मेरा दूसरा हाथ कल्याण का स्पर्शवाला है, कल्याण को प्रवाहित करनेवाला है ॥ १२ ॥
भावार्थभाषाः - चिकित्सक बालक को अपने हाथों से स्पर्श करता हुआ आश्वासन दे कि तुझे स्वस्थ करना मेरे दाएँ-बाएँ हाथों का खेल है, तू घबरा नहीं। मेरे हाथों में तुझे स्वस्थ करने का औषध है और शान्ति देने की शक्ति भी है ॥ १२ ॥
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (मे-अयं हस्तः-भगवान्) चिकित्सकस्य ममायमेको हस्तः सुखैश्वर्यवान् सुखैश्वर्यदाता (मे-अयं भगवत्तरः) चिकित्सकस्य ममापरो हस्तोऽतिशयेन सुखैश्वर्यकरः (मे-अयं विश्वभेषजः) चिकित्सकस्य ममैष हस्तो सर्वरोगस्यौषधं रोगचिकित्सन- साधनमस्ति (अयं शिवाभिमर्शनः) अयमपरो हस्तः कल्याणस्पर्शनः कल्याणमभि-प्रेरयति ॥१२॥