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यत्ते॑ समु॒द्रम॑र्ण॒वं मनो॑ ज॒गाम॑ दूर॒कम् । तत्त॒ आ व॑र्तयामसी॒ह क्षया॑य जी॒वसे॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yat te samudram arṇavam mano jagāma dūrakam | tat ta ā vartayāmasīha kṣayāya jīvase ||

पद पाठ

यत् । ते॒ । स॒मु॒द्रम् । अ॒र्ण॒वम् । मनः॑ । ज॒गाम॑ । दूर॒कम् । तत् । ते॒ । आ । व॒र्त॒या॒म॒सि॒ । इ॒ह । क्षया॑य । जी॒वसे॑ ॥ १०.५८.५

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:58» मन्त्र:5 | अष्टक:8» अध्याय:1» वर्ग:20» मन्त्र:5 | मण्डल:10» अनुवाक:4» मन्त्र:5


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (ते) हे मानसिक रोग से ग्रस्त मनुष्य ! तेरा (यत्-मनः-अर्णवं समुद्रं दूरकं जगाम) जो मन जलवाले समुद्र को दूर चला गया है (ते तत्……) पूर्ववत् ॥५॥
भावार्थभाषाः - मानसिक रोगग्रस्त का मन भ्रान्त हुआ-हुआ जल से आप्लावित समुद्र में अपने को तैरता हुआ या डूबता हुआ बतलाये, तो उसे इस प्रसङ्ग के निवारक आश्वासन देकर शान्त करें ॥५॥
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (ते) हे मानसरोगग्रस्त जन ! तव (यत्-मनः अर्णवं समुद्रं दूरकं जगाम) यन्मनो जलवन्तं समुद्रं दूरं गतम् (ते तत्……) पूर्ववत् ॥५॥