वांछित मन्त्र चुनें

आ नि॑वर्तन वर्तय॒ नि नि॑वर्तन वर्तय । भूम्या॒श्चत॑स्रः प्र॒दिश॒स्ताभ्य॑ एना॒ नि व॑र्तय ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ā nivartana vartaya ni nivartana vartaya | bhūmyāś catasraḥ pradiśas tābhya enā ni vartaya ||

पद पाठ

आ । नि॒ऽव॒र्त॒न॒ । व॒र्त॒य॒ । नि । नि॒ऽव॒र्त॒न॒ । व॒र्त॒य॒ । भूम्याः॑ । चत॑स्रः । प्र॒ऽदिशः॑ । ताभ्यः॑ । ए॒नाः॒ । नि । व॒र्त॒य॒ ॥ १०.१९.८

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:19» मन्त्र:8 | अष्टक:7» अध्याय:7» वर्ग:1» मन्त्र:8 | मण्डल:10» अनुवाक:2» मन्त्र:8


बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (निवर्तन) हे अन्यत्र से हमारी ओर आगमनशील परमात्मा ! (आवर्तय) हमारी ओर प्रवृत्त हो (निवर्तन) हे कदाचित् निवर्तनवाले ! (वर्तय) तू हमें अपनी ओर प्रवृत्त कर (भूम्याः-चतस्रः प्रदिशः) भूमि की जो चारों प्रदिशाएँ हैं, (ताभ्यः एनाः-निवर्तय) उन दिशाओं से इन गौ आदि को यहाँ प्राप्त करा ॥८॥
भावार्थभाषाः - हे अन्यत्र से हमारी ओर प्राप्त होनेवाले परमात्मन् ! तू हमारे अभिमुख हो, हमें अपनी ओर ले तथा भूमि की चारों दिशाओं से गौ आदियों को हमें प्राप्त करा ॥८॥
बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (निवर्तन) निवर्तनशील अस्मत्प्रत्यागमनशील परमात्मन् ! (आवर्तय) अस्मदभिमुखागमने खल्वावृत्तिं कुरु (निवर्तन) हे कदाचिन्निवर्तनस्वभाव ! (वर्तय) त्वं कदाचित् प्रवृत्तो भव (भूम्याः-चतस्रः प्रदिशः) भूम्याश्चतस्रः प्रदिशो याः सन्ति (ताभ्यः-एनाः-निवर्तय) ताभ्यो दिग्भ्य एता गाः प्रजा इन्द्रियाणि वा-अत्र प्रत्यागमय ॥८॥