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ग्रावा॑णः सवि॒ता नु वो॑ दे॒वः सु॑वतु॒ धर्म॑णा । यज॑मानाय सुन्व॒ते ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

grāvāṇaḥ savitā nu vo devaḥ suvatu dharmaṇā | yajamānāya sunvate ||

पद पाठ

ग्रावा॑णः । स॒वि॒ता । नु । वः॒ । दे॒वः । सु॒व॒तु॒ । धर्म॑णा । यज॑मानाय । सु॒न्व॒ते ॥ १०.१७५.४

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:175» मन्त्र:4 | अष्टक:8» अध्याय:8» वर्ग:33» मन्त्र:4 | मण्डल:10» अनुवाक:12» मन्त्र:4


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (ग्रावाणः) हे विद्वानों ! (वः) तुम्हें (सविता देवः-नु) प्रेरक विजयेच्छुक राजा शीघ्र (धर्मणा-सुवतु) कर्त्तव्य कर्म के द्वारा प्रेरित करता है (सुन्वते यजमानाय) राष्ट्र को बढ़ानेवाले प्रजाजन के लिए ॥४॥
भावार्थभाषाः - राजा राष्ट्र को बढ़ानेवाले प्रजाजन के लिए स्वयं कर्तव्यपरायण रहे और राष्ट्र के अधिकारी विद्वानों को भी कर्तव्यपरायण रहने का आदेश दे ॥४॥
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (ग्रावाणः) हे विद्वांसः ! (वः) युष्मान् (सविता देवः-नु) प्रेरयिता देवः-शीघ्रम् (धर्मणा सुवतु) कर्त्तव्यकर्मणा प्रेरयतु प्रेरयति (सुन्वते यजमानाय) राष्ट्रं वर्धयते प्रजाजनाय ॥४॥