उप॑ मा॒ पेपि॑श॒त्तम॑: कृ॒ष्णं व्य॑क्तमस्थित । उष॑ ऋ॒णेव॑ यातय ॥
                                    अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
                  
                                  मन्त्र उच्चारण
                  upa mā pepiśat tamaḥ kṛṣṇaṁ vyaktam asthita | uṣa ṛṇeva yātaya ||
                  पद पाठ 
                  
                                उप॑ । मा॒ । पेपि॑शत् । तमः॑ । कृ॒ष्णम् । विऽअ॑क्तम् । अ॒स्थि॒त॒ । उषः॑ । ऋ॒णाऽइ॑व । या॒त॒य॒ ॥ १०.१२७.७
                  ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:127» मन्त्र:7 
                  | अष्टक:8» अध्याय:7» वर्ग:14» मन्त्र:7 
                  | मण्डल:10» अनुवाक:10» मन्त्र:7
                
              
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                    ब्रह्ममुनि
                   पदार्थान्वयभाषाः -  (उषः) हे उषो वेले ! (कृष्णं तमः) घने अन्धकार को अपना रूप देती हुई (पेपिशत्) अत्यन्त चूर्ण कर दे (व्यक्तं मा-उप अस्थित) मुझे पूर्णरूप से उपस्थित होती है (ऋणा-इव यातय) ऋणों की भाँति दूर कर-उतार, रात्रि के अनन्तर उषा आया करती है, जो रात्रि के अन्धकार को मिटाती है ॥७॥              
              
              
                            
                  भावार्थभाषाः -  प्रभातवेला उषा जब आती है, रात्रि के अन्धकार को चूर्ण करती हुई आती है तथा हमारे मानस अन्धकार से ऋण की भाँति विमुक्त कराती है, ज्ञान जागृति देती है ॥७॥              
              
              
                            
              
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                    ब्रह्ममुनि
                   पदार्थान्वयभाषाः -  (उषः) हे उषो वेले ! (कृष्णं-तमः पेपिशत्) स्वरूपं प्रयच्छती कृष्णं तमश्चूर्णयति (व्यक्तं मा उप अस्थित) मां पूर्णरूपेणोपतिष्ठते (ऋणा-इव यातय) ऋणानि-इव तद्दूरीकुरु-अवतारय ‘रात्रेरनन्तरमुषा आगच्छति हि’ ॥७॥              
              
              
              
              
                            
              
            
                  