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आ नो॑ अग्ने सुचे॒तुना॑ र॒यिं वि॒श्वायु॑पोषसम्। मा॒र्डी॒कं धे॑हि जी॒वसे॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ā no agne sucetunā rayiṁ viśvāyupoṣasam | mārḍīkaṁ dhehi jīvase ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ। नः॒। अ॒ग्ने॒। सु॒ऽचे॒तुना॑। र॒यिम्। वि॒श्वायु॑ऽपोषसम्। मा॒र्डी॒कम्। धे॒हि॒। जी॒वसे॑ ॥

ऋग्वेद » मण्डल:1» सूक्त:79» मन्त्र:9 | अष्टक:1» अध्याय:5» वर्ग:28» मन्त्र:3 | मण्डल:1» अनुवाक:13» मन्त्र:9


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (अग्ने) विज्ञान और सुख के देनेवाले विद्वान् ! आप (नः) हमारे (जीवसे) जीवन के लिये (सुचेतुना) अच्छे विज्ञान से युक्त (विश्वायुपोषसम्) सम्पूर्ण अवस्था में पुष्टि करने (मार्डीकम्) सुखों के सिद्ध करनेवाले (रयिम्) धन को (आधेहि) सब प्रकार धारण कीजिये ॥ ९ ॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को अच्छी प्रकार सेवा किया हुआ विद्वान् विज्ञान और धन को देके पूर्ण आयु भोगने के लिये विद्या धन को देता है ॥ ९ ॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

अन्वय:

हे अग्ने ! त्वं नोऽस्मभ्यञ्जीवसे सुचेतुना विश्वायुपोषसं मार्डीकं रयिमाधेहि ॥ ९ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - (आ) समन्तात् (नः) अस्मभ्यम् (अग्ने) विज्ञानसुखद (सुचेतुना) सुष्ठु विज्ञानेन सह वर्त्तमानम् (रयिम्) धनसमूहम् (विश्वायुपोषसम्) अखिलायुपुष्टिकारकम् (मार्डीकम्) मृडीकानां सुखानामिमं साधकम् (धेहि) (जीवसे) जीवितुम् ॥ ९ ॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यैः संसेवितो विद्वान् सुशिक्षां कृत्वा पूर्णायुप्रापके विद्याधने ददाति ॥ ९ ॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - माणसांनी हे जाणावे की सन्मानित विद्वान सुशिक्षित करून पूर्ण आयुष्य भोगण्यासाठी विद्यारूपी धन देतो. ॥ ९ ॥