आ नो॑ अग्ने सुचे॒तुना॑ र॒यिं वि॒श्वायु॑पोषसम्। मा॒र्डी॒कं धे॑हि जी॒वसे॑ ॥
ā no agne sucetunā rayiṁ viśvāyupoṣasam | mārḍīkaṁ dhehi jīvase ||
आ। नः॒। अ॒ग्ने॒। सु॒ऽचे॒तुना॑। र॒यिम्। वि॒श्वायु॑ऽपोषसम्। मा॒र्डी॒कम्। धे॒हि॒। जी॒वसे॑ ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥
हे अग्ने ! त्वं नोऽस्मभ्यञ्जीवसे सुचेतुना विश्वायुपोषसं मार्डीकं रयिमाधेहि ॥ ९ ॥