इन्द्रो॑ दी॒र्घाय॒ चक्ष॑स॒ आ सूर्यं॑ रोहयद्दि॒वि। वि गोभि॒रद्रि॑मैरयत्॥
indro dīrghāya cakṣasa ā sūryaṁ rohayad divi | vi gobhir adrim airayat ||
इन्द्रः॑। दी॒र्घाय॑। चक्ष॑से॑। आ। सूर्य॑म्। रो॒ह॒य॒त्। दि॒वि। वि। गोभिः॑। अद्रि॑म्। ऐ॒र॒य॒त्॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
इसके अनन्तर किसने किसलिये सूर्य्यलोक बनाया है, सो अगले मन्त्र में प्रकाश किया है-
हरिशरण सिद्धान्तालंकार
सूर्य व मेघ
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अथ केन किमर्थः सूर्य्यलोको रचित इत्युपदिश्यते।
इन्द्रः सृष्टिकर्त्ता जगदीश्वरो दीर्घाय चक्षसे यं सूर्य्यलोकं दिव्यारोहयत् सोऽयं गोभिरद्रिं व्यैरयत् वीरयति॥३॥
डॉ. तुलसी राम
आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड
God Who is the Creator and Lord of the world has placed the sun on high in the sky, so that people may see well all objects with his rays. He makes the clouds move hither and thither, so that it may rain.
