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क्व॑ वः सु॒म्ना नव्यां॑सि॒ मरु॑तः॒ क्व॑ सुवि॒ता । क्वो॒ ३॒॑ विश्वा॑नि॒ सौभ॑गा ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

kva vaḥ sumnā navyāṁsi marutaḥ kva suvitā | kvo viśvāni saubhagā ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

क्व॑ । वः॒ । सु॒म्ना । नव्यां॑सि । मरु॑तः । क्व॑ । सु॒वि॒ता । क्वो॒३॒॑ इति॑ । विश्वा॑नि । सौभ॑गा॥

ऋग्वेद » मण्डल:1» सूक्त:38» मन्त्र:3 | अष्टक:1» अध्याय:3» वर्ग:15» मन्त्र:3 | मण्डल:1» अनुवाक:8» मन्त्र:3


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर भी उक्त विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

पदार्थान्वयभाषाः - हे (मरुतः) वायु के समान शीघ्र गमन करनेवाले मनुष्यो ! तुम लोग विद्वानों के समीप प्राप्त होकर (वः) आप लोगों के (विश्वानि) सब (नव्यांसि) नवीन (सुम्ना) सुख (क्व) कहाँ सब (सुविता) प्रेरणा करानेवाले गुण (क्व) कहाँ और सब नवीन (सौभगा) सौभाग्य प्राप्ति करानेवाले कर्म (क्वो) कहाँ है ऐसा पूछो ॥३॥
भावार्थभाषाः - इस मंत्र में लुप्तोपमालङ्कार है। हे शुभ कर्मों में वायु के समान शीघ्र चलनेवाले मनुष्यों ! तुम लोगों को चाहिये कि विद्वानों के प्रति पूछ कर जिस प्रकार नवीन क्रिया की सिद्धि के निमित्त कर्म प्राप्त होवें वैसा अच्छे प्रकार निरन्तर यत्न किया करो ॥३॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

(क्व) कुत्र (वः) युष्माकं विदुषाम् (सुम्ना) सुखानि। अत्र सर्वत्र शेश्छन्दसि बहुलम् #इति शेर्लोपः। (नव्यांसि) नवीयांसि नवतमानि। अत्र छान्दसो वर्णलोपो वा इति ईकारलोपः। (मरुतः) वायुवच्छीघ्रं गमनकारिणो जनाः (क्व) कस्मिन् (सुविता) प्रेरणानि (क्वो) कुत्र। अत्र वर्णव्यत्ययेन अकारस्थान ओकारः। (विश्वा) सर्वाणि (सौभगा) सुभगानां कर्म्माणि। अत्र उद्गातृत्वादञ्* ॥३॥ #[पा० अ० ६।१।७०।] *[पा० अ० ५।१।१२९।]

अन्वय:

पुनस्तदेवाह।

पदार्थान्वयभाषाः - हे मरुतो मनुष्या यूयं विदुषां सदेशं प्राप्य वो युष्माकं क्व विश्वानि नव्यांसि सुम्ना क्व सुविता सौभगाः सन्तीति पृच्छत ॥३॥
भावार्थभाषाः - अत्र लुप्तोपमालङ्कारः। हे शुभे कर्म्माणि वायुवत् क्षिप्रं गन्तारो मनुष्या युष्माभिर्विदुषः प्रति पृष्ट्वा यथा नवीनानि क्रियासिद्धिनिमित्तानि कर्म्माणि नित्यं प्राप्येरंस्तथा प्रयतितव्यम् ॥३॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - शुभ कर्मात वायूप्रमाणे शीघ्र गमन करणाऱ्या माणसांनो ! तुम्ही विद्वानांना विचारून नवीन क्रियासिद्धीसाठी ज्या प्रकारे कर्म घडेल तसा प्रयत्न करा. ॥ ३ ॥