गौ॒रीर्मि॑माय सलि॒लानि॒ तक्ष॒त्येक॑पदी द्वि॒पदी॒ सा चतु॑ष्पदी। अ॒ष्टाप॑दी॒ नव॑पदी बभू॒वुषी॑ स॒हस्रा॑क्षरा पर॒मे व्यो॑मन् ॥
gaurīr mimāya salilāni takṣaty ekapadī dvipadī sā catuṣpadī | aṣṭāpadī navapadī babhūvuṣī sahasrākṣarā parame vyoman ||
गौ॒रीः। मि॒मा॒य॒। स॒लि॒लानि॑। तक्ष॑ती। एक॑ऽपदी। द्वि॒ऽपदी॑। सा। चतुः॑ऽपदी। अ॒ष्टाऽप॑दी। नव॑ऽपदी। ब॒भू॒वुषी॑। स॒हस्र॑ऽअक्षरा। प॒र॒मे। विऽओ॑मन् ॥ १.१६४.४१
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर विदुषी के विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनर्विदुषीविषयमाह ।
हे स्त्रीपुरुषा यैकपदी द्विपदी चतुष्पदी अष्टापदी नवपदी बभूवुषी सहस्राक्षरा सती परमे व्योमन् प्रयतते गौरीर्विदुषीर्मिमाय सलिलानीव तक्षती सा विश्वकल्याणकारिका भवति ॥ ४१ ॥