का रा॑ध॒द्धोत्रा॑श्विना वां॒ को वां॒ जोष॑ उ॒भयो॑:। क॒था वि॑धा॒त्यप्र॑चेताः ॥
kā rādhad dhotrāśvinā vāṁ ko vāṁ joṣa ubhayoḥ | kathā vidhāty apracetāḥ ||
का। रा॒ध॒त्। होत्रा॑। अ॒श्वि॒ना॒। वा॒म्। कः। वा॒म्। जोषे॑। उ॒भयोः॑। क॒था। वि॒धा॒ति॒। अप्र॑ऽचेताः ॥ १.१२०.१
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अब एकसौ बीसवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में प्रश्नोत्तरविधि का उपदेश करते हैं ।
स्वामी दयानन्द सरस्वती
तत्रादौ प्रश्नोत्तरविधिमाह ।
हे अश्विना वामुभयोः का होत्रा सेना विजयं राधत्। वां जोषे कथा कोऽप्रचेताः पराजयं विधाति ॥ १ ॥
माता सविता जोशी
(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)या सूक्तात प्रश्नोत्तर, अध्ययन - अध्यापन व राजधर्माच्या विषयाचे वर्णन असल्यामुळे या अर्थाची मागील सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥