प्रैतु॒ ब्रह्म॑ण॒स्पतिः॒ प्र दे॒व्ये᳖तु सू॒नृता॑। अच्छा॑ वी॒रं नर्यं॑ प॒ङ्क्तिरा॑धसं दे॒वा य॒ज्ञं न॑यन्तु नः। म॒खाय॑ त्वा म॒खस्य॑ त्वा शी॒र्ष्णे। म॒खाय॑ त्वा म॒खस्य॑ त्वा शी॒र्ष्णे। म॒खाय॑ त्वा म॒खस्य॑ त्वा शी॒र्ष्णे ॥७ ॥
प्र। ए॒तु॒। ब्रह्म॑णः। पतिः॑। प्र। दे॒वी। ए॒तु॒। सू॒नृता॑। अच्छ॑। वी॒रम्। नर्य्य॑म्। प॒ङ्क्तिरा॑धस॒मिति॑ प॒ङ्क्तिऽरा॑धसम्। दे॒वाः। य॒ज्ञम्। न॒य॒न्तु॒। नः॒ ॥ म॒खाय॑। त्वा॒। म॒खस्य॑। त्वा॒। शी॒र्ष्णे। म॒खाय॑। त्वा॒। म॒खस्य॑। त्वा॒ शी॒र्ष्णे। म॒खाय॑। त्वा॒। म॒खस्य॑। त्वा॒ शी॒र्ष्णे ॥७ ॥