इ॒मं जी॒वेभ्यः॑ परि॒धिं द॑धामि॒ मैषां॒ नु गा॒दप॑रो॒ऽअर्थ॑मे॒तम्। श॒तं जी॑वन्तु श॒रदः॑ पुरू॒चीर॒न्तर्मृ॒त्युं द॑धतां॒ पर्व॑तेन ॥१५ ॥
इ॒मम्। जी॒वेभ्यः॑। प॒रि॒धिमिति॑ परि॒ऽधिम्। द॒धा॒मि॒। मा। ए॒षा॒म्। नु। गा॒त्। अप॑रः। अर्थ॑म्। ए॒तम् ॥ श॒तम्। जी॒व॒न्तु॒। श॒रदः॑। पु॒रू॒चीः। अ॒न्तः। मृ॒त्युम्। द॒ध॒ता॒म्। पर्व॑तेन ॥१५ ॥