मा त्वा॒ग्निर्ध्व॑नयीद् धू॒मग॑न्धि॒र्मोखा भ्राज॑न्त्य॒भि वि॑क्त॒ जघ्रिः॑। इ॒ष्टं वी॒तम॒भिगू॑र्त्तं॒ वष॑ट्कृतं॒ तं दे॒वासः॒ प्रति॑ गृभ्ण॒न्त्यश्व॑म् ॥३७ ॥
मा। त्वा॒। अ॒ग्निः। ध्व॒न॒यी॒त्। धू॒मग॑न्धि॒रिति॑ धू॒मऽग॑न्धिः। मा। उ॒खा। भ्राज॑न्ती। अ॒भि। वि॒क्त॒। जघ्रिः॑। इ॒ष्टम्। वी॒तम्। अ॒भिगू॑र्त्त॒मित्य॒भिऽगू॑र्त्तम्। वष॑ट्कृत॒मिति॒ वष॑ट्ऽकृतम्। तम्। दे॒वासः॑। प्रति॑। गृ॒भ्ण॒न्ति॒। अश्व॑म् ॥३७ ॥