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सू॒प॒स्थाऽअ॒द्य दे॒वो वन॒स्पति॑रभवद॒श्विभ्यां॒ छागे॑न॒ सर॑स्वत्यै मे॒षेणेन्द्रा॑यऽऋष॒भेणाक्षँ॒स्तान् मे॑द॒स्तः प्रति॑ पच॒तागृ॑भीष॒तावी॑वृधन्त पुरो॒डाशै॒रपु॑र॒श्विना॒ सर॑स्व॒तीन्द्रः॑ सु॒त्रामा॑ सुरासो॒मान् ॥६० ॥

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Pad Path

सू॒प॒स्था इति॑ सुऽउप॒स्थाः। अ॒द्य। दे॒वः। वन॒स्पतिः॑। अ॒भ॒व॒त्। अ॒श्विभ्या॒मित्य॒श्विऽभ्या॑म्। छागे॑न। सर॑स्वत्यै। मे॒षेण॑। इन्द्रा॑य। ऋ॒ष॒भेण॑। अक्ष॑न्। तान्। मे॒द॒स्तः। प्रति॑। प॒च॒ता। अगृ॑भीषत। अवी॑वृधन्त। पु॒रो॒डाशैः॑। अपुः॑। अ॒श्विना॑। सर॑स्वती। इन्द्रः॑। सु॒त्रामेति॑ सु॒ऽत्रामा॑। सु॒रा॒सो॒मानिति॑ सुराऽसो॒मान् ॥६० ॥

Yajurveda » Adhyay:21» Mantra:60