ता स॑वि॒तुर्वरे॑ण्यस्य चि॒त्रामाहं वृ॑णे सुम॒तिं वि॒श्वज॑न्याम्। याम॑स्य॒ कण्वो॒ अदु॑ह॒त् प्रपी॑ना स॒हस्र॑धारां॒ पय॑सा म॒हीं गाम् ॥७४ ॥
ताम्। स॒वि॒तुः। वरे॑ण्यस्य। चि॒त्राम्। आ। अ॒हम्। वृ॒णे॒। सु॒म॒तिमिति॑ सुऽम॒तिम्। वि॒श्वज॑न्याम्। याम्। अ॒स्य॒। कण्वः॑। अदु॑हत्। प्रपी॑ना॒मिति॒ प्रऽपी॑नाम्। स॒हस्र॑धारा॒मिति॑ स॒हस्र॑ऽधाराम्। पय॑सा। म॒हीम्। गाम् ॥७४ ॥